कवि जसवीर सिंह हलधर की उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को समर्पित शानदार रचना… हरेला हम सबका त्योहार
जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
-----------------------------------------
कविता -हरेला पर्व
--------------------------------------
हरेला हम सबका त्योहार।
करें हम धरती का शृंगार।।
प्रश्न मानव से करता यक्ष।
लगाए कितने अब तक वृक्ष।।
वृक्ष मानव जीवन के अंग।
बिखेरे भांति भांति के रंग।।
नील कुसुमों के वारिद बीच।
ढकें पंकज के पल्लव कीच।।
इन्हीं से सजता मधुर वसंत।
यही कहता आकाश अनंत।।
धरा सहती हम सबका भार।
हरेला हम सबका त्योहार।।1
बजाती मधुर साज मंजीर।
पके जब बागों में अंजीर।।
भूमि को जकड़े रहती मूल।
रत्न गुम्फित से लगते फूल।।
वृक्ष हैं ईश्वर का वरदान।
इन्हीं से जिंदा है इंसान।।
नहीं सँभले तो होगी देर।
रोग फिर हमको लेंगे घेर।।
विश्व में होगा हाहाकार।
हरेला हम सबका त्योहार।।2
छिपे वेदों में भी संदेश।
यही ऋषियों का है आदेश।।
धरा यदि होगी वृक्ष विहीन।
आदमी...