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कवि जसवीर सिंह हलधर की एक रचना… वीर शिवाजी का भाला नीरज के हाथों आया है…

कवि जसवीर सिंह हलधर की एक रचना… वीर शिवाजी का भाला नीरज के हाथों आया है…

राष्ट्रीय
जसवीर सिंह 'हलधर'  कविता -उभरता भारत ----------------------------- वीर शिवाजी का भाला नीरज के हाथों आया है। स्वर्ण पदक इस खेल समर में शेर जीतकर लाया है।। पचपन साल राज करके खेलों का सत्यानाश किया। अंग्रेजी शासन से ज्यादा खेलों का उपहास किया। मिल्खा सिंह औ ध्यान चंद को आज चैन मिल पाया है।। स्वर्ण पदक इस खेल समर में शेर जीतकर लाया है।।1 बच्चा बच्चा झूम रहा है जन जन में उल्लास भरा। लवलीना ,चानू ,संधू के करतब से इतिहास डरा। दहिया और पूनिया ने भारत का मान बढ़ाया है।। स्वर्ण पदक इस खेल समर में शेर जीतकर लाया है।।2 हॉकी ने इस खेल समर में फिर से धमक दिखाई है। बेटी बाल बाल चूकी हैं पूरी जान लगाई है। खेलों की इस राजनीति से अब भारत उकताया है।। स्वर्ण पदक इस खेल समर में शेर जीतकर लाया है।।3 पिछले सत्तर सालों में सबसे अच्छा प्रदर्शन है। विश्व गुरु भारत में अब प्रारम...

कवि जसवीर सिंह हलधर की उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को समर्पित शानदार रचना… हरेला हम सबका त्योहार

राष्ट्रीय
जसवीर सिंह हलधर देहरादून, उत्तराखंड ----------------------------------------- कविता -हरेला पर्व -------------------------------------- हरेला हम सबका त्योहार। करें हम धरती का शृंगार।। प्रश्न मानव से करता यक्ष। लगाए कितने अब तक वृक्ष।। वृक्ष मानव जीवन के अंग। बिखेरे भांति भांति के रंग।। नील कुसुमों के वारिद बीच। ढकें पंकज के पल्लव कीच।। इन्हीं से सजता मधुर वसंत। यही कहता आकाश अनंत।। धरा सहती हम सबका भार। हरेला हम सबका त्योहार।।1 बजाती मधुर साज मंजीर। पके जब बागों में अंजीर।। भूमि को जकड़े रहती मूल। रत्न गुम्फित से लगते फूल।। वृक्ष हैं ईश्वर का वरदान। इन्हीं से जिंदा है इंसान।। नहीं सँभले तो होगी देर। रोग फिर हमको लेंगे घेर।। विश्व में होगा हाहाकार। हरेला हम सबका त्योहार।।2 छिपे वेदों में भी संदेश। यही ऋषियों का है आदेश।। धरा यदि होगी वृक्ष विहीन। आदमी...