उत्तराखंड के पहाड़ों पर बारिश में सफर जानलेवा साबित , बोल्डर गिरने से 26 घायल- 07 यात्रियाें की गई जान |
उत्तराखंड के पहाड़ों पर बारिश में सफर जानलेवा साबित हो रहा है। बरसात शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन वाहनों पर बड़े बड़े बोल्डर (पत्थर) गिरने की सात यात्रियों की जान जा चुकी है।
उत्तराखंड के पहाड़ों पर बारिश में सफर जानलेवा साबित हो रहा है। बरसात शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन वाहनों पर बड़े बड़े बोल्डर (पत्थर) गिरने की नौ घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जिसमें अभी तक सात लोग अपनी जान गंवा चुकेजबकि 26 घायल हो गए हैं।
उत्तराखंड में लोक निर्माण विभाग की ओर से सड़कों पर 166 क्रॉनिक जोन (अति संवेदनशील) चिह्नित किए गए हैं। जहां अक्सर मलबा, पत्थर गिरने की घटनाएं होती हैं। हालांकि उत्तराखंड के पहाड़ों के कमजोर होने की वजह से हर साल नए नए संवेदनशील स्थान भी विकसित हो रहे हैं जिससे यह समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क निर्माण के दौरान अवैज्ञानिक तरीके से विस्फोटकों का प्रयोग किए जाने से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। और बरसात के सीजन में पत्थरों के नीचे से मिट्टी बह जाती है जिससे बोल्डरों के गिरने का अक्सर खतरा बना रहता है। इसके साथ ही पहाड़ पर सड़कों के निर्माण और कटान के समय ब्लास्टिंग आदि का प्रयोग बंद करने की जरूरत है।
जब तक ऐसे स्थानों का समुचित ट्रीटमेंट नहीं हो जाता तब तक बार बार ऐसी घटनाओं की आशंका बनी हुई है। हालांकि हर साल पहाड़ पर नए नए क्रॉनिक जोन विकसित होने से यह खतरा बढ़ रहा है।
पहाड़ की सड़कों के क्रॉनिक जोन का ट्रीटमेंट करने की जरूरत है। उसके बाद ऐसे हादसों में कमी आ सकती है। इसके लिए बहुत अधिक बजट की जरूरत होगी। ऐसे में सबसे खतरनाक स्थानों के ट्रीटमेंट से शुरूआत की जा सकती है।
टीएचडीसी के साथ किया जा चुका एमओयू
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अयाज अहमद ने बताया कि राज्य में क्रॉनिक जोन एक गंभीर समस्या है और इसके समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 14 प्रमुख क्रॉनिक जोन के ट्रीटमेंट के लिए टीएचडीसी के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीएचडीसी के साथ एमओयू करने के बाद अब इस दिशा में शुरूआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि सबसे खतरनाक स्थानों के ट्रीटमेंट के लिए बजट आदि की व्यवस्था की जा रही है।
उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |