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पौड़ी -देवताओं के साथ यहां असुर की होती है पूजा, उत्तर भारत का है एकमात्र मंदिर राहु मंदिर!

पौड़ी -देवताओं के साथ यहां असुर की होती है पूजा, उत्तर भारत का है एकमात्र मंदिर राहु मंदिर!

: पुराणों में कहा जाता है कि असुर राहु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को छल से पान कर लिया था यह देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था. कहते हैं कि राहु का कटा हुआ सिर इसी पैठाणी गांव में गिरा था, जिसके बाद वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया

पौड़ी. उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. यहां कई मंदिर है जो अपने रहस्यों और पौराणिक कथाओं के लिए प्रचलित है और उन्हीं में से पौड़ी जिले में स्थित है राहु मंदिर. वैसे तो आपने देवताओं की पूजा करते हुए तो सभी जगह सुना ही होगा लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जिले में देवताओं के साथ असुर की भी पूजा की जाती है. साथ ही मंदिर में शुभ-अशुभ ग्रहों की पूजा करने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं.

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पैठाणी गांव में राहु मंदिर स्थित है. जहां लोग दूर दूर से अपना दोष निवारण करने के लिए आते हैं. मंदिर में मूंग की खिचड़ी का भोग लगता है. और श्रद्धालु भी भंडारे में उसी भोग को खाते हैं. स्कद पुराण’ के केदारखंड में उल्लेख है कि राष्ट्रकूट पर्वत की तलहटी रथ वाहिनी व नावालिका नदी के संगम पर राहु ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिस वजह से यहां राहु मंदिर ( की स्थापना हुई.

‘राष्ट्रकूट पर्वत’ के नाम पर ही यह क्षेत्र ‘राठ क्षेत्र’ कहलाया. साथ राहु के गोत्र “पैठीनसि” के कारण ही कालांतर में इस गांव का नाम पैठाणी पड़ा. स्थानीय के अनुसार कहा जाता है कि आद्य शंकराचार्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. कहते हैं कि जब शंकराचार्य दक्षिण से हिमालय की यात्रा पर आए थे तो उन्हें पौड़ी के पैठाणी गांव के इस क्षेत्र में राहु के प्रभाव का आभास हुआ. जिसके बाद उन्होंने पैठाणी में राहु के मंदिर का निर्माण शुरू किया.

कौन था राहु?
पुराणों में कहा जाता है कि असुर राहु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को छल से पान कर लिया था यह देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था. कहते हैं कि राहु का कटा हुआ सिर इसी पैठाणी गांव में गिरा था, जिसके बाद वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. यही कारण है कि इस मंदिर में भगवान शिव के साथ राहु की धड़ विहीन प्रतिमा स्थापित है.

कैसी है मंदिर की संरचना?
मंदिर का निर्माण पत्थरों से बने ऊंचे चबूतरे पर किया गया है. जिसके चारों कोनों कर्ण प्रसाद(मंदिर) बने हैं. साथ ही मंदिर की दीवारों के पत्थरों में आकर्षक नक्काशी की गई है. जिसमें की राहु के कटे सिर के साथ भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र उत्कीर्ण है. और मंदिर के बाहर व भीतर गणेश इत्यादि देवी देवताओं के प्राचीन पाषाण( पत्थर) की प्रतिमाएं स्थापित है.

स्थानीय सुधीर जोशी बताते हैं कि पैठाणी में उत्तर भारत का इकलौता राहु मंदिर स्थित है, जहां दूर दूर से श्रद्धालु अपने ग्रहों के दोष के निवारण के लिए पहुंचते हैं. साथ ही वह बताते हैं कि मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है. और यहां पूजा करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है. जिसके लिए देशभर से लोग यहां आते हैं.

कैसे पहुंचे?
गढ़वाल के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार से लगभग 150 किलोमीटर और पौड़ी जिला मुख्यालय से महज 46 किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है.

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट

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