उत्तराखंड : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, खनन पट्टों पर पूर्व में लगी रोक सशर्त हटाई
उत्तराखंड : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, खनन पट्टों पर पूर्व में लगी रोक सशर्त हटाई
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नैनीताल, देहरादून, अल्मोड़ा व ऊधमसिंह नगर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लिए बिना ही राज्य सरकार द्वारा खनन के पट्टे आवंटित किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार स्वीकृत खनन पट्टे देने के बाद वैध पट्टाधारकों को दो साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड से अनुमति लेनी आवश्यक हैं। ऐसा नहीं करने पर उनके पट्टों का लाइसेंस स्वतः ही निरस्त माना जाएगा। पूर्व में कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इस आदेश को संशोधित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से संशोधन प्रार्थनापत्र कोर्ट में पेश किया गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
नैनीताल जिला निवासी तरुण शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून और यूएस नगर जिले में खनन टेंडर निकालने से पहले राज्य पर्यावरण बोर्ड की अनुमति नहीं ली गई थी जो कि खनन नियमों का उल्लंघन है।
नैनीताल उच्च न्यायालय से सशर्त रोक हटने के बाद भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई ने 47 लॉट की तकनीकी निविदा बुधवार को खोलने के आदेश जारी कर दिए। यह निविदा अपराह्न ढाई बजे खुलेगी। इकाई के निदेशक एसएल पैट्रिक द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, इकाई ने देहरादून जिले के 17, हरिद्वार के नौ, ऊधमसिंहनगर जिले के आठ और चंपावत के एक लॉट के लिए ई निविदा आमंत्रित की थी। इसकी तकनीकी निविदा 19 अक्तूबर को खोली जानी थी। लेकिन इससे पहले ही उच्च न्यायालय में निविदा प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दायर हो गई।
न्यायालय ने 26 सितंबर को आमंत्रित निविदा खोले जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। सरकार ने सात नवंबर को कोर्ट में अपना पक्ष रखा, जिस पर कोर्ट ने सरकार को सशर्त राहत दे दी। पैट्रिक के मुताबिक, निर्धारित तिथि व समय पर तकनीकी निविदा खोली जाएगी। इसके अनुसार खनन लॉट के आवंटन की कार्रवाई शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |