“माफियाओं” के चंगुल में है दून के “पब्लिक स्कूल”
“माफियाओं” के चंगुल में है दून के “पब्लिक स्कूल”
*प्रदेश सरकार की खामोशी और कड़े कदम न उठाने से बच्चों का भविष्य भी नहीं सुरक्षित
*पब्लिक स्कूलों पर शिक्षा के माफियाओं का जकड़ रहा शिकंजा
*निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों को हर वर्ष झेलनी पड़ती है मानसिक परेशानियां
*सवालिया निशान : प्रवेश के नाम पर तथा अन्य कई चार्जेस लगाकर अभिभावकों से धन की लूट-खसोट को लेकर सरकार क्यों है मौन?
*अफसरों और दलालों ने उत्तराखंड राज्य के निर्माण के बाद से शिक्षा को बना डाला व्यवसायिक
देहरादून – शिक्षा के मंदिरों में मासूम बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा आज मूल शिक्षा की दिशा से भटक चुकी है, क्योंकि इन शिक्षा के मंदिरों में व्यवसायीकरण का बीज आज नहीं, बल्कि राज्य उत्तराखंड के निर्माण के समय ही बो दिया गया था, जिसके आज अंकुर फूटते रहते हैं I उत्तराखंड के पब्लिक स्कूलों में शिक्षा वास्तव में दलालों के हाथों में आ चुकी है, जिसके लिए न सिर्फ सरकार कटघरे में है, वही अफसरों को भी दोषी ठहराया जा रहा है I आरटीई में अनेक बार कई ऐसे खुलासे हो चुके हैं, जिन्होंने कि पब्लिक स्कूलों की मनमानी और उनके द्वारा अभिभावकों से प्रत्येक वर्ष की जाने वाली धन की लूट को जगजाहिर करते हुए भंडाफोड़ किया है I आरटीई में पब्लिक स्कूलों में एडमिशन के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली होने के खुलासे होते रहे हैं I हैरानी की बात यह है कि पब्लिक स्कूलों में गरीबों का जो एडमिशन तथा पढ़ाई के लिए छूट वाला कोटा सरकार की ओर से निर्धारित है, उसका अनुपालन भी पब्लिक स्कूल नहीं कर पा रहे हैं और सरकारी आदेशों को ताक पर रखे हुए हैं I यह कहा जा सकता है कि गरीबों की पढ़ाई वाले इस कोटे में भी धांधली करने से पब्लिक स्कूल के संचालक और प्रबंधक पीछे नहीं है I उत्तराखंड राज्य के अंदर कई ऐसे नामी अथवा प्रसिद्ध पब्लिक स्कूल है, जहां पर सरकारी आदेशों का पालन रत्ती भर भी नहीं किया जाता है और उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है I गरीब बच्चों के लिए निर्धारित कोटे को गरीब बच्चों से अक्सर दूर रखकर इस कोटे में मनमाना पन किया जाता है और अक्सर अफसरों तथा अनेक सफेदपोश लोगों के बच्चों को मानकों के विपरीत प्रवेश दे दिए जाते हैं I पब्लिक स्कूलों में व्यापक पैमाने पर प्रवेश को लेकर धांधली करने वाले गिरोह के सक्रिय होने से इन पब्लिक स्कूलों में माफियाओं का राज बना हुआ नजर आ रहा है I जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पब्लिक स्कूलों में प्रवेश को लेकर हुई व्यापक धांधली की विजिलेंस जांच कराए जाने की मांग पुरजोर ढंग से उठा डाली है, ताकि धांधली में शामिल गिरोह का पर्दाफाश कर उन्हें सजा दी जा सके I
मुख्य बात यह है कि जिस तरह से इन पब्लिक स्कूलों में बच्चों के प्रवेश को लेकर बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई है, उससे राज्य सरकार को ही करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है I इस धांधली की यदि उच्च स्तरीय जांच पूर्ण निष्पक्षता एवं पारदर्शी तरीके से कराई जाए तो निश्चित रूप से उस जांच में कई अफसर तथा सफेदपोश लोगों के नाम निकल कर सामने आएंगे, जो कि बेहद चौंकाने वाले नाम होंगे? आरोप सामने आ रहा है कि खंड स्तर के अधिकारी ईमानदारी से विद्यालय संचालित करने वाले विद्यालय प्रबंधकों से एडमिशन के नाम पर मोटी रकम की मांग करते हैं और मना करने पर उनको का उलझन वाली धमकियों में डाल दिया जाता है I यही नहीं, खंड स्तर के अधिकारी अक्सर कहना न माने वाले स्कूलों के प्रबंधकों से एडमिशन कोटा भी कम करने की कोशिश कर डालते हैं I यही कारण है कि गरीब बच्चों को आरटीई का लाभ नहीं मिल पाता और वे वंचित ही रह जाते हैं I
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में खासतौर से पब्लिक स्कूलों की जबरदस्त मनमानी चल रही है तथा इन स्कूलों के प्रबंधकों द्वारा अपनाए जा रहे बेलगाम नियम सिद्धांत सिद्धांतों के आगे न सिर्फ सरकार बोनी नजर आ रही है बल्कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारी भी स्कूलों के आगे नतमस्तक बने हुए हैं इसके अलावा स्कूलों में बच्चों के एडमिशन कराने वाली दलालों की भी पूरी मौज बनी हुई है इन दिनों पब्लिक पब्लिक स्कूलों में बच्चों के प्रवेश प्रारंभ हो चुके हैं और दलालों की चांदी जमकर कटने लगी है, लेकिन शायद सरकार की नजरों के आगे यह सब खेल जिस तरह से चल रहा है, उससे अनुमान यही लगता है कि पब्लिक स्कूल के अंदर बच्चों को शिक्षा दिए जाने के नाम पर बड़ा खेल खेला जा रहा है और शिक्षा को व्यवसायीकरण की दिशा में तेजी से ले जाया जा रहा है I पब्लिक स्कूलों में डोनेशन के नाम पर एक बच्चे के प्रवेश के लिए लाखों रुपए की मांग होती है I ऐसे में पब्लिक स्कूलों में शिक्षा का ढांचा आखिर किस दिशा में जा रहा है, इसका अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है I
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |