उत्तराखंड : नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद भी स्कूलों का हाल-बेहाल, 158 विद्यालयों में लटके ताले
नया शिक्षा सत्र शुरू होने में अब एक माह का समय बचा हुआ है, लेकिन व्यवस्थाओं को देखकर नहीं लगता अगले शिक्षा सत्र में भी हालात सुधर पायेंगे। जिले में अब तक 158 प्राथमिक विद्यालयों में ताले लटक गये हैं, शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए जल्द पहल नहीं होने पर नये सत्र में इस संख्या का ग्राफ और ऊपर जाने की उम्मीद है।
नियमावली के अभाव में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका हुआ है। सीमांत पिथौरागढ़ जनपद के दूरदराज के क्षेत्रों में सरकारी विद्यालय ही शिक्षा का एकमात्र माध्यम हैं, लेकिन सरकारी शिक्षा की सेहत दिनों दिन गिर रही है।
पिथौरागढ़ जिले में शिक्षकों और विद्यार्थियों की कमी से 158 विद्यालयों में ताले लटक गए हैं। 37 विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं हैं। दूसरे विद्यालयों से शिक्षक भेजकर नौनिहालों का भविष्य गढ़ा जा रहा है। जिले के 439 विद्यालयों में एकमात्र शिक्षक पांच कक्षाओं का पढ़ा रहे हैं। शिक्षा के स्तर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। कोरोना के चलते दो वर्ष का डीएलड कोर्स पांच वर्ष में पूरा करने और शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके युवा भर्ती के इंतजार में हैं।
बीएड प्रशिक्षुओं को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर किये जाने के बाद भर्ती नियमावली अपडेट की जानी है, लेकिन यह मामला लटका हुआ है, जिससे भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। युवा मानसिक रूप से परेशान हैं। पिथौरागढ़ जनपद में कुल 1004 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 14918 है। विद्यालयों के लिए शिक्षकों के 2002 पद स्वीकृत हैँ, जिनमें 890 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
पिथौरागढ़ मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार जुकरिया, ने कहा शिक्षकों की भारी कमी के चलते अगले शिक्षा सत्र में प्राथमिक शिक्षा में सुधार की उम्मीद नहीं है। यह हाल तब है जब उत्तराखंड को नई शिक्षा नीति लागू करने वाले पहले राज्य का दर्जा मिला हुआ है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। वर्तमान में स्वीकृत 2002 पदों के सापेक्ष 890 पद खाली पड़े हुए हैं। रिक्त पदों को भरे जाने के लिए निदेशालय को पत्र भेजे गये हैं।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |