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सरकार का दावा…स्थिर होने की ओर जोशीमठ, नई दरारें नहीं आएंगी, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार |

सरकार का दावा...स्थिर होने की ओर जोशीमठ, नई दरारें नहीं आएंगी, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार |

सरकार का दावा...स्थिर होने की ओर जोशीमठ, नई दरारें नहीं आएंगी, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार |

सरकार का दावा…स्थिर होने की ओर जोशीमठ, नई दरारें नहीं आएंगी, वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार |

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि उनकी जो वैज्ञानिकों से बातचीत हुई है, उसके अनुसार जोशीमठ सेटल (स्थिर) हो जाएगा। जब तक सभी तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट नहीं आ जाती और वह एक बिंदु पर एकमत नहीं हो जाती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है।

सरकार का दावा है कि जोशीमठ स्थिर होने की ओर है और अब दरारों के बढ़ने की संभावना बहुत कम है। हालांकि यह भी जोड़ा कि अंतिम रूप से इस बारे में तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जाएगा।

सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि उनकी जो वैज्ञानिकों से बातचीत हुई है, उसके अनुसार जोशीमठ सेटल (स्थिर) हो जाएगा। जब तक सभी तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट नहीं आ जाती और वह एक बिंदु पर एकमत नहीं हो जाती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है।

लेकिन, यह बात साफ है जोशीमठ नीचे नहीं आएगा (और नहीं धंसेगा)। उन्होंने कहा कि वहां दरारों के बढ़ने की संभावना बहुत कम है। लेकिन, इस बीच जिस भी उपचार को करने की जरूरत है, उसे किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो बड़ी दरार वाले भवन हैं, उन्हें हटाया जा रहा है और अन्य को हटाया जाएगा।

इसका मतलब यह नहीं कि जोशीमठ नीचे चला जाएगा
डॉ. सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या वर्ष 1976 से चल रही है। जो अब बढ़ गई है। इसका मतलब यह नहीं कि जोशीमठ नीचे चला जाएगा। वहां जो तेज ढलानें हैं, उनमें बने भवनों और जमीन पर अधिक दरारें हैं, जबकि समतल जमीन पर हल्की दरारें हैं, उनका इलाज करना पड़ेगा।

143 गांवों में है इस तरह की समस्या
डॉ. सिन्हा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के तमाम गांवों में इस तरह की समस्या है। अब तक ऐसे 143 गांव चिह्नित किए गए हैं, जहां भू-धंसाव और भूस्खलन के कारण भवनों और जमीन को क्षति पहुंची है।

जोशीमठ के ऊपरी क्षेत्र में सूखा, निचले इलाके में है नमी
डॉ. सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में सर्वे के दौरान पाया गया कि ऊपर क्षेत्र की दरारें भीतर तक सूखी (ड्राई)हैं, जबकि निचले क्षेत्र की दरारों में नमी हैं। जबकि भूभाग भीतर से रेतीला है, इसका मतलब ऊपरी क्षेत्र का पानी तेजी से नीचे की ओर आ रहा है।

863 भवनों में आई दरारें
अभी तक जोशीमठ में 863 भवनों में दरारें दर्ज की गई हैं, जबकि 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। वहीं, जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में सामने आया है कि अब तक करीब 460 जगह जमीन के अंदर 40 से 50 मीटर तक गहरी दरारें मिली हैं। ऐसे में भू-धंसाव से प्रभावित 30 फीसदी क्षेत्र कभी भी धंस सकता है। इसलिए इस क्षेत्र में बसे करीब 4000 प्रभावितों को तुरंत विस्थापित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दरारों वाले भवनों को जल्द ध्वस्त करना होगा।

2500 भवनों में रहने वाले 4000 लोग प्रभावित
सर्वे में पाया गया कि भू-धंसाव वाले क्षेत्र में 2500 मकान हैं, जिनमें रहने वाले 4000 लोग प्रभावित हैं। वहीं, दरारों वाले 30 फीसदी भवन तुरंत ध्वस्त करने की सिफारिश की गई है। जबकि बाकी भवनों की रेट्रोफिटिंग की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया है।

उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ केलियर ब्यूरो रिपोर्ट |

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