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उत्तराखंड : टिहरी की नेहा के बनाए कुनकुन फॉन्ट का इस्तेमाल करती हैं कई नामी कंपनियां

उत्तराखंड : टिहरी की नेहा के बनाए कुनकुन फॉन्ट का इस्तेमाल करती हैं कई नामी कंपनियां

जब मैं पहली बार अहमदाबाद में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (एनआईडी) में डिजाइनिंग का कोर्स करने गई तो अंग्रेजी नहीं आना मेरी सबसे बड़ी कमी थी। मैं अन्य से बेहतर थी लेकिन अंग्रेजी कम समझ आना और वहां हिंदी कम बोले जाने के कारण मैं अपनी बात किसी को समझा नहीं पाती थी। इसी पीड़ा ने मुझे अंग्रेजी सीखने के लिए मजबूर किया तो हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मैने देवनागरी फांट ‘कुनकुन’ बनाया। जो आज एयरटेल सहित कई कंपनियों में प्रयोग किया जाता है | यह कहना है रुद्रप्रयाग में पली – बढ़ी नेहा बहुगुणा का
मूल रूप से टिहरी रानीचौरी की रहने वाली है लेकिन माता रुद्रप्रयाग में शिक्षिका और पिता एलआईयू में थे तो उसने शिशु मंदिर से प्राइमरी और राजकीय इंटर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई की। उसके बाद पिता का ट्रांसफर देहरादून हुआ तो वह भी बीएससी की पढ़ाई के लिए दून चली गई।
नेहा का कहना है कि वह विज्ञान की छात्रा थीं लेकिन उसकी डिजाइनिंग में रुचि थी। मां ने उसकी मन की बात समझी और उसे डिजाइनिंग के क्षेत्र में ही कॅरिअर बनाने की सलाह दी। 2006 में एनआईडी अहमदाबाद में चयन हो गया।
डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद नौकरी करने मुंबई चली गई। जहां एक कंपनी में नौकरी मिली लेकिन लिखने, पढ़ने के शोख़ से दो माह में ही छोड़ दी और फिर कहानी, कवितापाठ के कार्यक्रमों में जाने लगीं और फिर एक दिन मंच पर कहानी बोलने का मौका मिला। जी नेटवर्क के द आर्ट रूम शो, इंजीनियरिंग बुक के अलावा डिजनी के कार्टून शो लिए डायलॉग लिखे।

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |

 

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