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नागा साधुओं की रोमांचक यात्रा, क्यों और कैसे तय कर रहे 4000 किमी का सफर?

नागा साधुओं की रोमांचक यात्रा, क्यों और कैसे तय कर रहे 4000 किमी का सफर?

इस आध्यात्मिक यात्रा में अब तक प्रमुख पांच में से तीन तीर्थ कवर किए जो चुके हैं. ये नागा साधु अभी दो तीर्थ और साष्टांग करेंगे. भद्राद्रि काठगोदाम जिले के लोग नागाओं की इस यात्रा के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं.

दासरी क्रांति कुमार/तेलंगाना. एक साथ कई नागा साधु साष्टांग दंडवत करते हुए इन दिनों तेलंगाना की सड़कों पर नजर आ रहे हैं. इनके साथ एक गाड़ी भी हौले-हौले चलती रहती है, जिसमें इन साधुओं के लिए भोजन व अन्य जरूरी चीजों का इंतजाम है. ये नागा साधु असल में 4000 किलोमीटर की साष्टांग नमस्कार यात्रा पर निकले हुए हैं और तमिलनाडु तक इसी तरह सड़कों पर दंडवत करते हुए जाने वाले हैं. पर क्यों?

‘विश्व कल्याण’ यानी दुनिया के भले के लिए गंगोत्री से रामेश्वरम तक की साष्टांग दंडवत यात्रा कर रहे ये साधु मूलतः मध्य प्रदेश से हैं और पिछले साल जून महीने में इन्होंने उत्तराखंड से यह यात्रा शुरू की थी. झुलसाती गर्मी के मौसम में डामर और सीमेंट से बनी सड़कों पर करीब-करीब लोटते हुए चल रहे इन साधुओं को देखने वाले हैरान तो हो ही रहे हैं.

पहाड़ों से शुरू हुई यह यात्रा तेलंगाना के भद्राद्रि काठगोदाम जिले तक पहुंच चुकी है. यहां भद्राचलम में श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर में इन साधुओं ने विशेष प्रार्थना पूजा भी की. ये साधु अलसुबह से साष्टांग दंडवत यात्रा शुरू करते हैं और रात में विश्राम लेते हैं. बीच-बीच में भी ब्रेक लेते हैं.

क्या होता है साष्टांग नमस्कार?
जब आप जमीन से शरीर को इस तरह लगाएं कि माथे से लेकर पैर के अंगूठों तक आपके शरीर के आठ प्रमुख अंग धरातल को छुएं, उसे साष्टांग नमस्कार कहते हैं. यह अपने इष्ट के प्रति श्रद्धा व भक्ति जताने का भाव है. साष्टांग कर रहे नागाओं ने बताया कि साष्टांग नमस्कार के लिए सिर, आंखें, कान, मुंह, हाथ, जांघें और पैरों को जमीन पर छुआना होता है.

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट

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