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पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, ये तर्क बना जमानत का बड़ा आधार |

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, ये तर्क बना जमानत का बड़ा आधार |

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, ये तर्क बना जमानत का बड़ा आधार |

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, ये तर्क बना जमानत का बड़ा आधार |

कोर्ट में पुलिस ने आरोपियों की जमानत का विरोध किया। लेकिन, खुद पुलिस अधिकारियों के बयान ही जमानत का आधार बने। बचाव पक्ष ने मजबूत तर्क रखा कि जब पथराव और उपद्रव में पुलिस बाहरी लोगों का हाथ बता रही है तो बेवजह इन 13 युवाओं को जेल में क्यों रखा जा रहा है।

कोर्ट ने इस तर्क को भी जमानत का बड़ा आधार माना है। दरअसल, पथराव और उपद्रव के बाद पुलिस कप्तान ने बयान जारी कर कहा था कि इसमें युवाओं का हाथ नहीं है। धरने में बाहर से कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए थे। उन्होंने युवाओं के बीच से पथराव किया है। इसमें पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं।

इस बात को बचाव पक्ष ने कोर्ट के सामने रखा और बताया कि पुलिस पथराव करने वालों को चिन्हित कर रही है। इनमें से कोई भी बॉबी और जेल में बंद उनका साथी नहीं है। पुलिस खुद मान रही है कि पथराव बाहरी तत्वों ने किया है तो इन 13 को जेल में बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है।

पुलिस ने जमानत के विरोध में पांच युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों का ब्योरा भी प्रस्तुत किया।

अभियोजन की ओर से कहा गया कि इन सबका आपराधिक इतिहास है। ऐसे में इनका बाहर आना कानून व्यवस्था के लिए खतरा हो सकता है।

इनमें बॉबी पर चार, शुभम नेगी पर तीन, नितिन दत्त पर दो, राम कंडवाल पर दो और मोहन कैंथुला पर दो मुकदमों की जानकारी रखी गई।

इस पर कोर्ट ने माना कि इन मुदकमों में कोई भी आरोपी जेल नहीं गया है। ऐसे में सिर्फ मुकदमे दर्ज होना जमानत रद्द करने का आधार नहीं है।

उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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