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सरकार! कहां दफन हो गया पॉलीथिन प्रतिबंध का कानून?

सरकार! कहां दफन हो गया पॉलीथिन प्रतिबंध का कानून?

* प्रदूषण मुक्त कैसे बन पाएगा जन जन का यह उत्तराखंड राज्य?

* सार्वजनिक रूप में कैरी पॉलिथीन का हो रहा जमकर प्रयोग

देहरादून – उत्तराखंड राज्य में चंद वर्ष पूर्व ही पॉलिथीन मुक्त उत्तराखंड का नारा लेकर एक कानून बनाया गया था, इसी के तहत शासन-प्रशासन की ओर से कैरी पॉलिथीन तथा अन्य पॉलिथीन एवं प्लास्टिक के खिलाफ जमकर अभियान चलाया गया था तथा जुर्माना भी कैरी पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों पर लगाते हुए वसूली भी की गई थी, लेकिन आज यह सब मामला अथवा अभियान आखिर कहां दफन होकर रह गया है? यह एक बहुत ही हैरानी एवं अफसोस जनक विषय है |
उत्तराखंड को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने पॉलिथीन के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाने का निर्णय लिया था और इसी के तहत जोरदार अभियान चलाते हुए जागरूकता लाने पर भी जोर दिया था, परंतु समय व्यतीत होते-होते सरकार और शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारीगण यह सब वास्तव में भूल बैठे हैं | अधिकारियों के इसी लापरवाही वाले रवैया के कारण सार्वजनिक रूप से पॉलिथीन का प्रयोग जमकर हो रहा है I कैरी पॉलीथिन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है और इस पर कोई भी अधिकारी अथवा शासन प्रशासन या फिर सरकार लगाम लगाने अथवा शिकंजा कसने की ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है |बाजारों में कैरी पॉलीथिन, जिस पर सख्ती के साथ प्रतिबंध पूर्व में लगाया जा चुका है, वह आज परवान के साथ इस्तेमाल हो रही है| हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड राज्य में कैरी पॉलिथीन के प्रयोग पर जुर्माना भी निर्धारित है, लेकिन आज हालात अलग ही हो गए हैं, और कैरी पॉलिथीन प्रयोग में लाई जा रही है | ऐसा होने से उत्तराखंड सरकार का प्रदूषण मुक्त अभियान सांसे तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में यह अभियान पूरी तेजी के साथ चलाया गया था और सब्जी, फल वालों तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों से कैरी पॉलीथिन भी जिला प्रशासन द्वारा जप्त करने की कार्यवाही की गई थी|उन दिनों जिला प्रशासन अथवा शासन द्वारा पॉलिथीन मुक्त उत्तराखंड बनाने की दिशा में उठाए गए इस कदम को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि निश्चित रूप से अब उत्तराखंड राज्य तथा खासतौर से राज्य की राजधानी देहरादून प्रदूषण मुक्त हो जाएगी| लेकिन शासन-प्रशासन का यह अभियान टाय-टाय फिस होकर रह गया है | बड़ा और मुख्य सवाल यह है कि सरकार अथवा शासन प्रशासन की ओर से कैरी पॉलिथीन के खिलाफ अभियान को क्यों ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है?

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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