पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र 29 मार्च से, कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई|
पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र 29 मार्च से, कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई|
15 मार्च को गणेश गोदियाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के साथ ही कार्यकारिणी भी निष्प्रभावी हो गई है। पूरे दस दिन गुजर जाने के बाद भी दोनों पदों पर नियुक्ति को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र 29 मार्च से शुरू होने जा रहा है, लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है। बताया जा रहा है कि विधानमंडल दल की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन यह बैठक कब होगी, इसकी किसी को जानकारी नहीं है।
विधानसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पाने पर पार्टी हाईकमान की ओर से राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय को पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजा गया था। तमाम प्रत्याशियों और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के साथ हार के कारणों पर मंथन करने के बाद वह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप चुके हैं। माना जा रहा था कि रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी हाईकमान नेता प्रतिपक्ष के मसले को शीघ्र सुलझा लेगा। लेकिन फिलहाल ऐसे कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।
पार्टी के भीतर की अलग-अलग गुटों की ओर से लॉबिंग शुरू
इधर, 15 मार्च को गणेश गोदियाल भी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे के साथ ही कार्यकारिणी भी निष्प्रभावी हो गई है। पूरे दस दिन गुजर जाने के बाद भी दोनों पदों पर नियुक्ति को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के भीतर की अलग-अलग गुटों की ओर से लॉबिंग शुरू हो गई है।
इधर, प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद पर शीर्ष नेतृत्व शीघ्र फैसला लेगा। जहां तक 29 से विधानसभा सत्र शुरू होनेे की बात है तो ऐसी कोई सांविधानिक बाध्यता नहीं है कि नेता प्रतिपक्ष का चयन उससे पहले होना जरूरी है। उधर, निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि दोनों ही पदों की नियुक्ति पर पार्टी हाईकमान को फैसला लेना है। जो फैसला होगा, सभी को मंजूर होगा।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |