Sat. Nov 23rd, 2024

राजकीय दून चिकित्सालय की ओपीडी में मरीज परेशान

राजकीय दून चिकित्सालय की ओपीडी में मरीज परेशान

राजकीय दून चिकित्सालय की ओपीडी में मरीज परेशान

राजकीय दून चिकित्सालय की ओपीडी में मरीज परेशान

चिकित्सकों के बैठने वाले दिवसों को लेकर है मरीजों के सम्मुख बड़ी परेशानी

देहरादून- उत्तराखंड के सरकारी चिकित्सालय ऐसे हैं, जहां पर सरकार भले ही तमाम सुविधाएं मरीजों के लिए मुहैया करवा दे, लेकिन मरीजों को अनेक परेशानियों का सामना इन सरकारी अस्पतालों में उठाना ही पड़ता है | जिससे कि न सिर्फ मरीज परेशान और बेहाल होते हैं, बल्कि उनके तीमारदार भी परेशानियां झेलते रहते हैं | सरकारी अस्पतालों में कभी अल्ट्रासाउंड की मशीन खराब हो जाती है, तो कभी मरीजों के परीक्षण संबंधी अनेक समस्याएं खड़ी होने लगती हैं | यही नहीं, बाहर से भी दवाइयां मरीजों को खरीदनी पड़ती है| भले ही प्रदेश के मुखिया लाख यह दिशा निर्देश जारी करते रहे कि सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवाइयां चिकित्सक न लिखें, और अस्पताल से ही सारी दवाइयां मरीजों को उपलब्ध कराई जाए | ऐसी कई समस्याएं अथवा परेशानियां प्रतिदिन मरीजों तथा उनके तीमारदारों को उठानी पड़ती हैं | मरीजों और उनकी तीमारदारी में लगे लोगों के सामने एक समस्या यह भी है कि राजकीय दून चिकित्सालय में ड्यूटी पर बैठने वाले चिकित्सकों के जो कार्य दिवस मरीजों को देखने के लिए निर्धारित किए गए हैं, उनसे कई मरीजों को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है | अनेक मरीजों का कहना है कि अस्पताल के चिकित्सकों के कार्य दिवस में 2 और 3 दिन का जो गैप दिया गया है, उसके कारण उनको परेशानी उठानी पड़ती है | उनका कहना है कि यदि कोई मरीज स्वयं को ड्यूटी पर बैठे चिकित्सक को अपना स्वास्थ्य दिखाता है तो चिकित्सक अक्सर कई परीक्षण अथवा जांच लिख देते हैं जो कि उसी दिन होती है और उसकी रिपोर्ट अगले दिन मिलती है, लेकिन अगले दिन आने पर वह चिकित्सक उसी कुर्सी पर ड्यूटी पर नहीं मिलते हैं, क्योंकि उनका कार्य दिवस आड़े हाथों आ जाता है | इसीलिए मरीज स्वयं को उसी चिकित्सक को न दिखाकर किसी और अन्य चिकित्सक को दिखाने हेतु मजबूर होते हैं | यह परेशानी तो मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए बनी हुई है ही साथ ही दून चिकित्सालय में कई मरीजों को बाहर से भी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है क्योंकि अस्पताल के ही कई चिकित्सक कुछ दवाइयां इन मरीजों को बाहर की लिख डालते हैं जिस कारण से मरीजों को बाहर की दवाइयां खरीदने हेतु विवश होना पड़ता है और उनकी जेब पर उसका सीधा प्रभाव विपरीत रूप में आर्थिक दृष्टि से पड़ता है |बेचारे मरीज भी क्या करें, वह भी समस्याओं एवं परेशानियों का बोझ उठाते चले आ रहे हैं| मरीजों की समस्याएं प्रतिदिन ढेरों रहती हैं लेकिन उनका समाधान करने वाला वास्तव में कोई नहीं है?

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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