डोईवाला शुगर मिल का कभी कर्मचारियों के मनोरंजन, बैठक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र रहा चीनी मिल का मनोरंजन भवन अब जर्जर हाल में पहुंच गया है। वर्षों से रखरखाव न होने के कारण भवन की दीवारों पर बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं। पेड़ों की जड़ों ने दीवारों को कमजोर कर दिया है, जबकि अंदरूनी हिस्से में धूल, पत्तों और कचरे से गंदगी का अंबार जमा है। टूटी खिड़कियां, उखड़ी दीवारें और सीलन भरी छतें इस भवन की बदहाली की गवाही दे रही हैं।इसी तरह मिल परिसर की डिस्पेंसरी भी लंबे समय से बंद पड़ी है। कर्मचारियों को कार्य के दौरान चोट लगने या बीमार पड़ने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजना पड़ता है। इससे कर्मचारियों को प्राथमिक उपचार के लिए भी अतिरिक्त परेशानी उठानी पड़ती है।चीनी मिल के सहायक प्रबंधक अंकित कुमार ने बताया कि फिलहाल मनोरंजन भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है, इसलिए इसकी मरम्मत नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर भवन की मरम्मत और सफाई कराई जाएगी।स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भवन कभी चीनी मिल की पहचान हुआ करता था। यहां हर साल सांस्कृतिक कार्यक्रम, कर्मचारी सभाएं और त्यौहारों के आयोजन होते थे। लेकिन अब यह इमारत वीरान और जर्जर होकर इतिहास बनने की कगार पर है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन और मिल प्रबंधन इसकी मरम्मत कराकर इसे फिर से सक्रिय करें।कभी गूंजते थे गीत-संगीत के स्वर।मनोरंजन भवन में पहले कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताएं और वार्षिक समारोह आयोजित किए जाते थे। स्थानीय कलाकार और बच्चों को मंच मिलता था। आज भवन में न जीवन है, न रौनक—सिर्फ खामोशी और जर्जर दीवारें बची हैं।