प्यासी जनता के लिए बने “हैंडपंप हुए सूखे”
प्यासी जनता के लिए बने “हैंडपंप हुए सूखे”
जल संस्थान के अधिकारी लंबे समय से खराब पड़े हैंडपंपों की क्यों नहीं ले रहे सुध?
देहरादून – उत्तराखंड जल संस्थान एक ऐसा विभाग है, जो कि प्यासी एवं समस्याग्रस्त जनता को परेशानी तथा प्यासा होने से से बचाता है और इस संस्थान के अफसरों व कर्मचारियों का मुख्य उद्देश्य भी लोगों को न सिर्फ शुद्ध जल देना है, बल्कि पेयजल की आपूर्ति भी सुनिश्चित कराना है| लेकिन इस विभाग के अफसरों व कर्मचारियों पर लापरवाही तथा भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं | इसके बावजूद यह विभाग जनता को प्यासा ही रखे हुए हैं| यही नहीं, दूषित पानी भी पेयजल में इस्तेमाल होने की समस्या भी काफी गंभीर है |क्षतिग्रस्त सीवर लाइन होने से पेयजल दूषित होने के कारण भिन्न-भिन्न बीमारियां भी लोगों को घेरे रहती हैं | आखिर इन सब के लिए क्या यह संबंधित विभाग जिम्मेदार नहीं है?
राज्य सरकार की ओर से जनता को पेयजल की आपूर्ति एवं उसकी शुद्धता उपलब्ध कराने की दिशा में एक अच्छा खासा बजट संबंधित विभाग को दिया जाता है, लेकिन यह बजट किस तरह से और कहां-कहां पर खर्च किया जाता है यह सवालों के घेरे में ही है? हैरानी की बात यह है कि जनता को पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है और वह आए दिन प्यासी ही रहती है गर्मियों के दिनों में तो यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर लेती है और पानी को लोग तरसने लगते हैं| कहीं पर पेयजल की आपूर्ति बुरी तरह से बाधित है तो कहीं सीवर का गंदा पानी पेयजल की पाइप लाइन से होकर गुजर रहा है, तो कहीं पर लगाए गए सरकारी हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं और यह सब संबंधित विभाग की कार्यशैली पर ढेरों सवाल खड़े किए हुए हैं | राज्य सरकार जनता को पेयजल की सुविधा एवं शुद्धता का पूरा ध्यान रखकर अपने कदम आगे भले ही बढ़ा रही है, परंतु संबंधित विभाग अथवा जल संस्थान के अधिकारी अपनी ही सरकार के कामकाज को दागदार बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं | राह चलते लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु सरकार ने अनेक योजनाओं के तहत कई जगह हैंड पंप पूर्व में लगवाए थे, लेकिन आज इन हैंडपंपों में से कई खराब पड़े हुए हैं | वे हैंडपंप जंग भी खा रहे हैं I इन हैंडपंपों की मरम्मत अथवा सुध लेने वाला कोई भी नहीं है | कई लोगों का आरोप है कि ऐसा नहीं है कि इन हैंडपंपों को सही अथवा मरम्मत कराने के लिए विभाग को पत्र नहीं सौंपे गए थे, बल्कि पत्र सौंपने के बावजूद कोई कार्य इस दिशा में नहीं हुए हैं | यही नहीं, कई स्थानों पर प्यासो को पानी पिलाने के लिए सार्वजनिक नल भी लगाए गए हैं, लेकिन इनमें से भी कई बंद पड़े हुए हैं और उन्हें पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है | यह समस्याएं बरकरार चली आ रही हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की नींद निरंतर कुंभकरण वाली बनी हुई है | जल संस्थान के अधिकारी इस तरह से सरकार के कार्यों को पलीता तो लगा ही रहे हैं साथ ही बदनामी भी देने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं|
उत्तरांचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |