उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के दूसरे सत्र में पहले ही दिन गैरसैंण के मुद्दे पर सियासत गर्मा सकती है।
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के दूसरे सत्र में पहले ही दिन गैरसैंण के मुद्दे पर सियासत गर्मा सकती है।
उत्तराखंड आंदोलन के परवान चढ़ते-चढ़ते गैरसैंण इसका केंद्र बिंदु बन गया लेकिन राज्य गठन के बाद स्थायी राजधानी को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकारें रहीं, लेकिन स्थायी राजधानी को लेकर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं कर पाई हैं। हालांकि विपक्ष में रहते हुए दोनों पार्टियां गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बात करती रही हैं।
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के दूसरे सत्र में पहले ही दिन गैरसैंण के मुद्दे पर सियासत गर्मा सकती है। प्रदेश की जनभावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर विपक्ष अपने तेवर दिखा सकता है। वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि धामी सरकार गैरसैंण को लेकर कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकती है।
सरकार की ओर से बजट सत्र पहले गैरसैंण में कराए जाने की घोषणा की गई थी। इसकी तिथि भी घोषित कर दी गई थी। लेकिन, बाद में चारधाम यात्रा में प्रशासनिक मशीनरी की व्यस्तता का हवाला देकर सत्र देहरादून में आयोजित कराए जाने की घोषणा की गई। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पहले दिन से इसका विरोध कर रही है।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले ही इस मुद्दे पर सत्र के दौरान गैरसैंण में उपवास रखकर अपना विरोध दर्ज कराने की घोषणा कर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार लगातार गैरसैंण की उपेक्षा कर रही है। विधानसभा से यह संकल्प पहले ही पारित किया गया था कि बजट सत्र हर बार गैरसैंण में ही होगा। लेकिन अब सरकार की मंशा गैरसैंण को हाशिए पर डालने की दिख रही है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर दूसरे विपक्षी दलों से भी आगे आने की अपील की है।
इधर, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि गैरसैंण जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। कांग्रेस सदन में सवाल उठाएगी। सरकार स्पष्ट करे कि वह गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने और उसके विकास के लिए क्या कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का भी स्पष्ट कहना है उनकी पार्टी गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने के पक्ष में है। लेकिन अभी यह फैसला सत्तारूढ़ दल को लेना है।
सरकार में रहते स्थायी राजधानी के मुद्दे पर पार्टियों का रूख स्पष्ट नहीं
राज्य आंदोलन के दौरान ही चमोली जिले में स्थित गैरसैंण को राजधानी बनाने का नारा दिया गया था। उत्तराखंड आंदोलन के परवान चढ़ते-चढ़ते गैरसैंण इसका केंद्र बिंदु बन गया लेकिन राज्य गठन के बाद स्थायी राजधानी को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकारें रहीं, लेकिन स्थायी राजधानी को लेकर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं कर पाई हैं। हालांकि विपक्ष में रहते हुए दोनों पार्टियां गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बात करती रही हैं। इतना जरूर है कि बीते कुछ वर्षों में गैरसैंण में कभी कैबिनेट बैठक तो कभी विधानसभा सत्र आयोजित कर इस मुद्दे को जिंदा रखा गया है।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |