चीन की तरफ से ही होती है भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ, विवाद सुलझाने के पक्ष में नहीं ड्रैगन |
चीन की तरफ से ही होती है भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ, विवाद सुलझाने के पक्ष में नहीं ड्रैगन |
पेनपा शेरिंग ने भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, सीमा पर सभी घुसपैठ एकपक्षीय रही हैं और चीन ने ही की हैं।
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख या सिक्योंग, पेनपा शेरिंग ने भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, सीमा पर सभी घुसपैठ एकपक्षीय रही हैं और चीन ने ही की हैं। शेरिंग ने कहा कि तिब्बत ने 1914 की संधि पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें उसके और भारत के बीच मैकमोहन लाइन पर सीमा निर्धारित की गयी। उन्होंने कहा कि तब से तवांग भारत का अभिन्न हिस्सा है।
तवांग और लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच संघर्ष पर उन्होंने कहा, 1959 तक भारत और चीन के बीच कोई सीमा नहीं थी, तिब्बत के साथ थी। उन्होंने कहा, हम 1914 के शिमला समझौते के पक्षकार हैं और मैकमोहन लाइन को वैध सीमा मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन की आक्रामकता भारत के खिलाफ बिना किसी उकसावे के है। भारत अपने रुख पर कायम है और चीन को कड़ा संदेश दे रहा है।
विवाद खत्म करने के पक्ष में नहीं चीन
शेरिंग ने कहा कि चीन का कई एशियाई देशों के साथ लंबा विवाद रहा है और वह इन्हें सुलझाने का इच्छुक नहीं है। जब अमेरिका-चीन संबंधों की बात आती है तो चीन शिकायत करता है कि उन्हें समान नहीं माना जाता, लेकिन जब एशिया में अन्य देशों की बात आती है तो वे कभी उनसे समान बर्ताव नहीं करते। उन्होंने कहा, चीन की ताइवान और तवांग जैसे हॉट स्पॉट को ज्वलंत बनाये रखने की नीति है ताकि उसकी नाकामियों से दुनिया का ध्यान हटाया जा सके।
उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |