कल्पना बहुगुणा
देहरादून, उत्तराखंड
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किसान
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विकट देश का मेरे
मेहनत करता सबल किसान।
कठिन देश का मेरे
हिम्मत रखता सरल किसान।
भव्य देश का मेरे
पौरुष रखता सफल किसान।
हिम प्रदेश का मेरे
साहस करता अटल किसान।
अपनी स्वस्थ भुजाओ में
बल रखता वह जोड़।
खेत बनाता जिनके द्वारा
पथरीली चट्टाने तोड़।
उसके जीने का अधिकार
कर्म निरत रहता है।
जन्म भूमि का पावन प्यार
ह्रदय में जिसके रहता है।
हुआ न तनिक अधीर
पड़े भयंकर संकट कभी।
हिम्मत से लड़ा रात दिन
बटोर साहस विघ्नों को चीर।
नित सुखी रहे किसान की
बैलो की जोड़ी बलवान।
नित बनी रहे किसान की
आन बान और शान।
होगा जब किसान का
खेत और खलिहान खुशहाल।
होगा तब देश का
विकास और देश खुशहाल।
@ कल्पना बहुगुणा