Fri. Nov 22nd, 2024

रोजगार के लिए हरिद्वार में भी गांवों से हो रहा पलायन, आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट |

रोजगार के लिए हरिद्वार में भी गांवों से हो रहा पलायन, आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट |

रोजगार के लिए हरिद्वार में भी गांवों से हो रहा पलायन, आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट |

रोजगार के लिए हरिद्वार में भी गांवों से हो रहा पलायन, आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट |

जिले में बेरोजगारी के साथ सिमटती कृषि जोत, बदहाल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पलायन का प्रमुख कारण हैं। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं का अस्थायी रूप से पलायन फैक्टरियों एवं आस-पास के शहरों में रोजगार के लिए हो रहा है। अच्छी शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में भी पलायन हो रहा है।

उत्तराखंड के पर्वतीय ही नहीं मैदानी जिले भी पलायन की समस्या का सामना कर रहे हैं। हालांकि मैदानों में यह अस्थाई है। ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग की हरिद्वार जिले पर आई रिपोर्ट इसकी तस्दीक कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार एक दशक में हरिद्वार के नगरीय क्षेत्रों में 55 प्रतिशत आबादी बढ़ी।

आयोग का मानना है कि इसमें बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की है जो रोजगार के लिए अस्थायी रूप से गांव छोड़ शहरों में आ गए हैं। जिले में बेरोजगारी के साथ सिमटती कृषि जोत, बदहाल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पलायन का प्रमुख कारण हैं। आयोग ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं का अस्थायी रूप से पलायन फैक्टरियों एवं आस-पास के शहरों में रोजगार के लिए हो रहा है। अच्छी शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में भी पलायन हो रहा है। वर्ष 2008 से वर्ष 2018 के मध्य जिले की कुल 153 ग्राम पंचायतों में 8168 व्यक्तियों ने अस्थायी पलायन किया है।

सबसे अधिक बहादराबाद ब्लाक की 46 ग्राम पंचायतों में 3091 व्यक्तियों और सबसे कम नारसन ब्लाक की छह ग्राम पंचायतों में 111 व्यक्तियों ने अस्थायी पलायन किया है। इसके अलावा लक्सर व खानपुर ब्लाक के सापेक्ष 10 ग्राम पंचायतों में 574 व्यक्तियों ने भी अस्थायी पलायन किया है। जिले में कुल 73 ग्राम पंचायतों में 1251 व्यक्तियों ने पिछले 10 सालों में स्थायी रूप से पलायन किया है। इसमें सबसे अधिक बहादराबाद ब्लाक के 27 ग्राम पंचायतों में 571 लोगों ने स्थायी पलायन किया है।

घटती कृषि जोत भी पलायन का बड़ा कारण

जिले में घटती कृषि जोत भी पलायन का एक बड़ा कारण बनकर सामने आई है। जिले के 70 प्रतिशत अधिक किसानों के पास दो से पांच बीघा भूमि है। ऐसे किसान आजीविका के अन्य स्रोतों की तलाश में कस्बों या जिले से बाहर पलायन कर रहे हैं। कई ब्लाकों में जंगली जानवरों से भी कृषि को नुकसान हो रहा है। नील गाय के प्रकोप से फसल नष्ट हो रही है। रिपोर्ट में वन विभाग के साथ मिलकर इसका उपाय ढूंढने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

अब 12 जिलों की रिपोर्ट सौंप चुका आयोग
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग हरिद्वार को मिलाकर अब तक 12 जिलों की रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। अब एक मात्र ऊधमसिंह नगर जिला बचा है जिसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जानी है। ऊधमसिंह नगर जिले में इन दिनों सर्वे का काम जारी है। आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी की मानें तो अगले छह माह में ऊधमसिंह नगर जिले की रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी जाएगी।

उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *