उत्तराखंड के पर्वतीय जंगलों में “आग का तांडव”
नियंत्रण पाने को आखिर क्यों नहीं उठाए जा रहे ठोस कदम?
देहरादून – उत्तराखंड राज्य में भीषण गर्मी का दौर जारी हो चुका है और मैदानी क्षेत्रों में जहां बहुत ही भीषण गर्मी लोगों को झेलनी पड़ रही है, वही दूसरी ओर राज्य के पर्वतीय जिलों के जंगलों में भीषण आग का तांडव लगातार जारी है | मुख्य बात यह है कि वन विभाग के छोटे व बड़े अफसर वन्य जंगलों में लगी चली आ रही आग पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम आखिर क्यों नहीं उठा रहे हैं? प्रदेश सरकार ने पहाड़ के जंगलों में तेजी से फैली आग के लगने पर गहरी चिंता जताते हुए संबंधित विभाग के अफसरों को आवश्यक दिशा-निर्देश आग पर नियंत्रण पाने के लिए दिए हैं, लेकिन देखने को कोई भी ठोस कार्य नहीं मिल रहे हैं|
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग तथा अन्य कुछ और जिलों के पर्वतीय इलाकों में आने वाले जंगलों में आग लगने का मामला इस वर्ष का ही नहीं है, बल्कि प्रत्येक वर्ष जंगलों में भीषण आग का तांडव होता रहता है I हैरानी और चिंता की बात यह है कि करीब-करीब हर वर्ष गर्मियां शुरू होते ही जंगलों में आग लगनी शुरू हो जाती है और यह आग अक्सर भीषण रूप धारण कर लेती है | आग इतनी विकराल रूप धारण करने लगती है कि वह आसपास के गांव में रहने वाले लोगों के घरों तक पहुंच जाती है, जिस कारण से उनको अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है | जंगलों में आग लगने से ग्रामीणों को न सिर्फ आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि रहन-सहन के लिए भी सुरक्षित वैकल्पिक व्यवस्था को तलाशना पड़ता है| ऐसे में ग्रामीणों के सम्मुख जिस तरह से विकट स्थिति प्रत्येक वर्ष सामने आती रहती है, उससे ग्रामीणों को निजात मिलने में पसीने छूटते रहते हैं और प्राकृतिक आपदा से यह दुखी एवं पीड़ित ग्रामीण करीब 3 महीने तक परेशान दर परेशान ही रहते हैं I खास बात यह है कि ऐसी आग लगने वाली प्राकृतिक आपदा का दंश खेलने वाले सैकड़ों ग्रामीण अपने राज्य के सरकार तथा संबंधित विभाग के अफसरों की ओर आशा भरी नजरों से देखते रहते हैं, लेकिन जब उनकी तरफ से कोई भी राहत एवं बचाव कार्य तत्काल नहीं किए जाते तो ग्रामीणों का दुख एवं चिंता कई गुना बढ़ जाती है |ऐसा नहीं है कि सरकार जंगलों में आग लगने पर कोई ठोस कदम उठाने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश नहीं देती, बल्कि वन विभाग व अन्य अफसरों को राज्य सरकार की ओर से तत्काल सुरक्षात्मक कदम उठाने के दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं, परंतु उनमें हीला-हवाली और लापरवाही का आलम देखने को ही मिलता है | मुख्य महत्वपूर्ण बात एक और यह भी है कि जंगलों में आग लगने के मामले राज्य की विधानसभा में भिन्न-भिन्न सत्रों के दौरान भी उठते रहे हैं और उसमें भीषण आग लगने एवं उसे रोकने के लिए समय पर उचित प्रबंध व सरकार के दिशा निर्देश जारी न होने को लेकर सरकार को विपक्ष द्वारा कटघरे में भी खड़ा किया जाता रहा है | सरकार की सदन में ऐसे मामले को लेकर खासी किरकिरी भी होती रही है| राज्य सरकार को चाहिए कि वह ऐसे दुखी ग्रामीणों को उचित मुआवजा देने से अपने हाथ पीछे नहीं खींचे I साथ ही पीड़ित ग्रामीणों के लिए रहन-सहन के पुख्ता प्रबंध भी समय पर करने चाहिए|
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |