कवि डॉ अलका अरोड़ा की एक रचना… नारी को सम्मान नहीं तो बताओ क्या दोगे…
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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आओ करे ये सतत प्रतिज्ञा
नारी को सम्मान नहीं तो बताओ क्या दोगे
बेटी को घर में मान नहीं तो बतलाओ क्या दोगे
एक घर सुधरने से बोलो क्या बदलेगा
हर सोच बदलने का प्रण बोलो कब लोगे
जब तक सारी कायनात ना बदले तो सब बेकार
जब तक अर्न्तमन ना स्वीकारे हर तरफ है हार
हर तरक्की हर ऊँचाई झूठी साबित होती है
जब तक बेटी लुट रही घर भीतर और हाट बाजार
लेकर प्रण सब बढे आगे तब ही होगा पूर्ण उद्धार
शिक्षा खानपान रोजगार बेटी को देना होगा पुरस्कार
हर बेटी सम्मान से जिये ख्याल हर पल रखना होगा
बेटी को भी बेटो सा मिले बराबर का अधिकार
कानून समाज और परिवेश से भी ले आओ सुधार
हर शय लगाकर जगा सको तो बदल डालो ये संसार
नारी जीवन पुण्य कर्मो का फल ही है ये जान जाओ
सृष्टि की रचेचता को पग पग क्यूं कर रहे हो शर्मसार
कौन स...