नीरज नैथानी… जल की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करने का प्राचीनतम श्रेष्ठ उदाहरण ‘पहाड़ी घट्’
नीरज नैथानी
रुड़की, उत्तराखंड
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मेरे गांव का घट्
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मैं बात कर रहा हूं पहाड़ी घट् की, जिसे आप पनचक्की अर्थात पानी से चलने वाली चक्की कह सकते हैं। वैसे इन्हें घराट के नाम से भी पुकारते हैं। जब पहाड़ के गावों में बिजली नहीं पहुंची थी और न ही डीजल इंजन से भक्क भक्क की आवाज करती चक्कियां ही चलती थीं तो उस समय ये घट् पहाड़ी जीवन की आधार शिला हुआ करते थे। कुछ-कुछ गावों में आज भी इनके अवशेष मात्र देखे जा सकते हैं।
जो घराट नदियों के किनारे स्थित होते थे वे बारामासी चलते थे लेकिन, जो गधेरों के किनारे बनाए जाते थे वे वर्षाकाल में प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध होने पर ही चलते थे। गेहूं अनाज पीसने का एकमात्र साधन उस समय घट् ही होता था। लेकिन, यदि आप घट् का मूल्यांकन केवल पिसाई स्थली के रूप में करेंगे तो गच्...