Tuesday, July 1News That Matters

Tag: भगवद चिन्तन

प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए…

प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए…

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास, शिव तत्व प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए। दुनिया वाले भी प्रेम करते हैं, मगर सिर्फ़ उस वस्तु को जो उनके उपयोग की हो। अनुपयोगी अथवा बिना कारण किसी से अगर कोई प्रेम करता है तो वो भगवान शिव ही हैं। इसलिए वो भूत भावन भी कहलाते हैं। भूतों से प्रेम करना अर्थात समाज में उन लोगों से भी प्रेम करना जो समाज द्वारा तिरस्कृत हों अथवा समाज जिन्हें उपेक्षित समझता हो व उनसे नफरत करता हो। भूत भावन भगवान शिव से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि समाज का चाहे कोई भी वर्ग अथवा कोई भी व्यक्ति क्यों न हो अगर आप उन्हें ज्यादा कुछ न दे सको तो कोई बात नहीं, कम से कम एक प्रेम भरी मुस्कान जरूर दे दिया करो। इतनी ऊँचाई न देना ईश्वर कि धरती पराई लगने लगे, इनती खुशियाँ भी न देना, दुःख पर किसी के हंसी आने लगे। नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका निर्बल पर प्रयोग करूँ, न...
चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है?

चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है?

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन.. श्रावण मास शिव तत्व भगवान शिव की आराधना के पवित्र श्रावण मास में चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है? बैल अर्थात धर्म, बैल धर्म का स्वरूप है। बैल की सवारी करना अर्थात प्रत्येक कर्म धर्मानुसार करना। जिस मनुष्य के जीवन में धर्म नहीं वह साधन सम्पन्न रहने पर भी दुखी ही रहता है, जहाँ धर्म रुपी साधना है वहाँ साधनों के अभाव में भी सुख और शांति है। प्रसन्नता भीतर की स्थिति है। धर्माचरण करने से नव संकल्पों का सृजन होता है और भीतर तृप्ति बनी रहती है। महादेव प्रत्येक क्षण इसलिए प्रसन्न नहीं रहते कि उनके पास साधन हैं बल्कि इसलिए प्रसन्न रहते हैं कि उनके पास धर्म रुपी साधना है। शिव धर्म पर सवार हैं इसीलिए वो महादेव हैं। हमें ये समझना होगा कि सुख धन नहीं धर्म से ही प्राप्त होगा।...
जो बातें अहितकर हों उन्हें न अपने मुख में रखें न भीतर जाने दें… पचा जाएँ शिवजी की तरह

जो बातें अहितकर हों उन्हें न अपने मुख में रखें न भीतर जाने दें… पचा जाएँ शिवजी की तरह

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास शिवतत्व भगवान् शिव का एक नाम नीलकंठ भी है। समुद्र मंथन के समय निकले विष को लोक कल्याणार्थ भगवान शंकर पान कर गए। विष को न उन्होंने अपने भीतर जाने दिया और न ही मुख में रखा, कंठ में रख लिया। जीवन है तो पग-पग पर बुराइयों का सामना भी करना पड़ता है। जीवन को आनन्दपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है कि जो बातें हमारे लिए अहितकर हों हम उन्हें न अपने मुख में रखें और न अपने भीतर जाने दें। शिवजी की तरह पचा जाएँ। विषमता रुपी विष अगर आपके भीतर प्रवेश कर गया तो यह आपके जीवन की सारी खुशियों को जलाकर भस्म कर देगा। इसलिए इसे कंठ तक ही रहने देना, चित (मन) तक मत ले जाना। कल का दिन किसने देखा है, आज अभी की बात करो। ओछी सोचों को त्यागो मन से, सत्य को आत्मसात करो। हिम्मत कभी न हारो मन की, स्वयं पर अटूट विश्वास रखो। मंजिल खुद पहुंचेगी तुम तक, मन में सोच कुछ खास रखो।...
किसी वस्तु की प्राप्ति पर न अभिमान हो और न छूटने पर दुःख… यही तो योग है…

किसी वस्तु की प्राप्ति पर न अभिमान हो और न छूटने पर दुःख… यही तो योग है…

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन योगस्थ: कुरुकर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय सिद्धय सिद्धयो:समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते! हमारे व्यवहारिक जीवन में योग का क्या साधन है अथवा व्यवहारिक जीवन में योग को कैसे जोड़ें? इसका श्रेष्ठ उत्तर केवल गीता के इन सूत्रों के अलावा कहीं और नहीं मिल सकता है। गुफा और कन्दराओं में बैठकर की जाने वाली साधना ही योग नहीं है। हम अपने जीवन में, अपने कर्मों को कितनी श्रेष्ठता के साथ करते हैं, कितनी स्वच्छता के साथ करते हैं बस यही तो योग है। गीता जी तो कहती हैं कि किसी वस्तु की प्राप्ति पर आपको अभिमान न हो और किसी के छूट जाने पर दुःख भी न हो। सफलता मिले तो भी नजर जमीन पर रहे और असफलता मिले तो पैरों के नीचे से जमीन काँपने न लग जाये। बस दोंनो परिस्थितियों में एक सा भाव ही तो योग है। यह समभाव ही तो योग है।...
शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग पाप

शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग पाप

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन ... श्रावण मास-शिव तत्व श्रावण मास में शिव पूजन करते समय चिन्तन करें कि भगवान् शिव अपने हाथ में त्रिशूल रखते हैं। इसका क्या सन्देश है? तीन विकारों को नियंत्रित करता है ये त्रिशूल, काम-क्रोध और लोभ। "तात तीन खल अति प्रवल काम क्रोध और लोभ" काम-क्रोध-लोभ को पूरी तरह समाप्त तो कदापि नहीं किया जा सकता पर, नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इनको साधा जा सकता है। क्रोध तो शिवजी को भी आता है लेकिन, क्षण विशेष के लिए। कामदेव को भस्म करते समय क्रोधित हुए पर जब कामदेव की पत्नि रति आई तो उसे देखकर द्रवित हो गए। शक्ति का सही दिशा में प्रयोग ही पुन्य है और गलत दिशा में प्रयोग ही पाप है। शिव जी ने अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर रखा है। ऊर्जा का नियंत्रण ही साधना है और यही योग है।...
शिव जी के जीवन में विलास नहीं, संन्यास है, भोग नहीं योग है…

शिव जी के जीवन में विलास नहीं, संन्यास है, भोग नहीं योग है…

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास शिव तत्व श्रावण मास में शिव जी के दर्शन करते समय एक बात और सीखने योग्य है। शिव जी के जीवन में विलास नहीं है, संन्यास है, भोग नहीं योग है। इनके चित में काम नहीं राम हैं। इन्होंने कामदेव को भस्म किया है। विषय विष से भी ज्यादा खतरनाक है। विष शरीर को मारता है, विषय आत्मा तक को प्रभावित करता है। विष खाने से केवल एक जन्म, एक शरीर नष्ट होता है पर विषय का चस्का लग जाने पर तो जन्म-जन्मान्तर नष्ट हो जाते हैं। संयम जीवन जीने से आयु भी बढती है। योग के साथ रहने से चित भी प्रसन्न रहता है। विषय आयु को तो नष्ट करता ही है साथ में चित में अशांति और पुनः प्राप्त करने की आशा भी उत्पन्न होती है। आज अति भोगवाद भी व्यक्ति और विश्व की अशांति का प्रमुख कारण है।...
तो हमारा घर भी बन सकता है शिवालय

तो हमारा घर भी बन सकता है शिवालय

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास शिव तत्व पवित्र श्रावण मास में शिवार्चन करते-करते एक सूत्र और सीखने योग्य है। भगवान् शिव की गृहस्थी को ध्यान से देखना कि कितने विरोधाभासी लोग भी बड़ी शांति से इस परिवार में रह रहे हैं। माँ पार्वती का वाहन शेर है और शिवजी का नंदी है। शेर का भोजन है वृषभ, लेकिन यहाँ कोई वैर नहीं है। कार्तिकेय का वाहन मोर है और शिवजी के गले में सर्प हैं। मोर और सर्प की लड़ाई भी जगजाहिर है लेकिन, यहाँ ये साथ ही रहते हैं। गणेश जी का वाहन चूहा है और चूहा सर्प का भोजन है। इस परिवार में सब शांति और सदभाव, निर्वैर बिना कलह के जीवन जीते हैं। देश काल, अलग जन्म, अलग जीवन, अलग विचार, अलग उद्देश्य होने के कारण सम्भव है आपकी घर में किसी से न बनें। मतभेद हो जाएँ कोई बात नहीं मनभेद नहीं होना चाहिए। सबकी स्वतंत्र चेतना का सम्मान करते हुए सबको आदर देवें तो हमारा घर भी शिवालय बन सकता है।...