Tuesday, July 1News That Matters

Tag: संस्मरण

प्रतिभा की कलम से.. जितना बंगाल में, उससे रत्तीभर भी कम लोकप्रिय नहीं गुरुदेव देश.. विदेश में…

प्रतिभा की कलम से.. जितना बंगाल में, उससे रत्तीभर भी कम लोकप्रिय नहीं गुरुदेव देश.. विदेश में…

राष्ट्रीय
प्रतिभा की कलम से देहरादून, उत्तराखंड ---------------------------------------- 'गुरुदेव' (7 अगस्त पुण्यतिथि ) 'टैगोर' कोई एक परिचय में सीमित होने वाला नाम नहीं है। वह भारत और बांग्लादेश के नागरिकों के लिए 'जन गण मन' और 'आमार सोनार बांग्ला' जैसे राष्ट्रगान के रचयिता हैं। टैगोर शांति निकेतन के संस्थापक हैं। वह जोड़ासांको के जमींदार देवेंद्र नाथ ठाकुर के कनिष्ठ पुत्र भी हैं। बंगाल वालों के लिए रविंद्रसंगीत के प्रणेता हैं तो सारे भारत के गुरुदेव भी हैं। विश्व की बात की जाए तो "गीतांजलि" पर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले प्रथम भारतीय भी वही हैं। इन सबसे परे किसी भी शिक्षक और विद्यार्थी के बीच शिक्षा के आदान-प्रदान का सबसे सहज और कोमल सेतु का नाम भी है 'गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर'। टैगोर के शांति निकेतन में शिक्षा व्यवस्था का क्रम क्या था? विद्यार्थियों को पढ़ाने का तरीक...

चलो चले गांव की ओर….. तीसरी किश्त… टुर्रा चिल्लाया, बौत बने हैं आज गांव वाले

राष्ट्रीय
नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड --------------------------------------- चलो चले गांव की ओर.......गतांक से आगे..... तीसरी किश्त कल शाम को खाना खाने के बाद सारे गांव वाले मंदिर प्रांगण में बैठे गपशप मार रहे थे। पास में पीपल के पेड़ की शाखाएं हवा में लहरा रही थीं। खुशनुमा हवा के झोकों से तन-मन प्रफुल्लित हो रहा था। बच्चे आंगन में खेल-कूद कर रहे थे। गांव तो भई गांव है, देहरादूनी काका ने मस्ती भरी अंगड़ाई लेते हुए कहा। प्रदूषण भरे शहरों में ऐसी शुद्ध हवा कहां मिलती है, गर्मी में दम घुटता है दिल्ली वालों ने व्यथा प्रकट की। तभी निचले चौक में हल्ला सुनाई दिया।कोई जोर-जोर से चिल्लाकर हुड़दंग कर रहा था। कौन है? अरे ये टुर्रा है बोडी का, कच्ची पीकर आया होगा नेपालियों के यहां, इसका रोज का यही धंधा है। बिथ्याणी बोडी का पैंतीस वर्षीय लड़का टुर्रा बेरोजगार था। पिता बचपन में ही गुजर गए ...