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पहाड़ी नदियों में मछली पकड़ने का लुत्फ उठा सकेंगे पर्यटक, विभाग बना रहा ये योजना!

पहाड़ी नदियों में मछली पकड़ने का लुत्फ उठा सकेंगे पर्यटक, विभाग बना रहा ये योजना!

चमोली की सदानीरा नदियों में पर्यटक एंगलिंग कर सकें और स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, इसके लए मत्स्य विभाग खास योजना बना रहा है. योजना के तहत कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं.

चमोली: उत्तराखंड के चमोली में आने वाले पर्यटक अब यहां की सदानीरा (हमेशा बहने वाली) नदियों में एंगलिंग (कांटा डालकर मछली पकड़ना) का लुत्फ भी उठा पाएंगे. सरकार द्वारा संचालित फिश एंगलिंग कार्यक्रम के तहत मत्स्य विभाग के माध्यम से जिले की ठंडे पानी की नदियों में ट्राउट फिश एंगलिंग की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. देश के मशहूर एंग्लर मिस्टर अली की अगुवाई में चार सदस्यीय दल ने मत्स्य विभाग के तत्वाधान में ट्राउट के लिए प्रसिद्ध बालखिला नदी में एंगलिंग की, जिसमें की बालखिला नदी ट्राउट फिश एंगलिंग की अपार संभावनाओं के साथ उपयुक्त पाई गई.

एंग्लर्स टीम ने बालखिला नदी में काफी मात्रा में ट्राउट मत्स्य बीज संचित करने, कुछ क्षेत्रों को मत्स्य आखेट के लिए प्रतिबंधित करने, नदी के तेज बहाव को कम करने और मछलियों के लिए सुविधाजनक छोटे-छोटे पूल बनाने के सुझाव भी दिए हैं, ताकि इन छोटे पूल में मछलियां आसानी से रह सकें और पर्यटक फिश एंगलिंग का भरपूर आनंद ले सकें.

स्वयं सहायता समूहों को होगा लाभ
चमोली जिले के प्रभारी मत्स्य निरीक्षक जगदंबा ने बताया कि जनपद की पांच नदियों के 32 बीटों को चिह्नित किया गया है और बीटों को चिह्नित करने से गांव के आसपास की महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह से विभाग लॉटरी आवंटित करेगा, जिससे जब पर्यटक घूमने के लिए यहां आएंगे, तो स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त करेंगे. जिससे स्वयं सहायता समूह को आर्थिक लाभ मिलेगा.

पर्यटकों को मिलेगा लाभ
जगदंबा ने बताया कि इससे मछलियों के संरक्षण और संवर्धन में भी लाभ मिलेगा. मछलियों की कमी को दूर करने के लिए हर साल नदियों में भारी मात्रा में मत्स्य बीज डाला जाता है, लेकिन अवैध शिकार के चलते बालखिला नदी में मछलियों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने बताया कि जिले की अन्य नदियों में भी फिश एंगलिंग के लिए उपयुक्त स्थानों को तैयार किया जा रहा है. निश्चित रूप से आने वाले समय में पर्यटकों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा.

चमोली: उत्तराखंड के चमोली में आने वाले पर्यटक अब यहां की सदानीरा (हमेशा बहने वाली) नदियों में एंगलिंग (कांटा डालकर मछली पकड़ना) का लुत्फ भी उठा पाएंगे. सरकार द्वारा संचालित फिश एंगलिंग कार्यक्रम के तहत मत्स्य विभाग के माध्यम से जिले की ठंडे पानी की नदियों में ट्राउट फिश एंगलिंग की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. देश के मशहूर एंग्लर मिस्टर अली की अगुवाई में चार सदस्यीय दल ने मत्स्य विभाग के तत्वाधान में ट्राउट के लिए प्रसिद्ध बालखिला नदी में एंगलिंग की, जिसमें की बालखिला नदी ट्राउट फिश एंगलिंग की अपार संभावनाओं के साथ उपयुक्त पाई गई.

एंग्लर्स टीम ने बालखिला नदी में काफी मात्रा में ट्राउट मत्स्य बीज संचित करने, कुछ क्षेत्रों को मत्स्य आखेट के लिए प्रतिबंधित करने, नदी के तेज बहाव को कम करने और मछलियों के लिए सुविधाजनक छोटे-छोटे पूल बनाने के सुझाव भी दिए हैं, ताकि इन छोटे पूल में मछलियां आसानी से रह सकें और पर्यटक फिश एंगलिंग का भरपूर आनंद ले सकें.

स्वयं सहायता समूहों को होगा लाभ
चमोली जिले के प्रभारी मत्स्य निरीक्षक जगदंबा ने बताया कि जनपद की पांच नदियों के 32 बीटों को चिह्नित किया गया है और बीटों को चिह्नित करने से गांव के आसपास की महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह से विभाग लॉटरी आवंटित करेगा, जिससे जब पर्यटक घूमने के लिए यहां आएंगे, तो स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त करेंगे. जिससे स्वयं सहायता समूह को आर्थिक लाभ मिलेगा.

पर्यटकों को मिलेगा लाभ
जगदंबा ने बताया कि इससे मछलियों के संरक्षण और संवर्धन में भी लाभ मिलेगा. मछलियों की कमी को दूर करने के लिए हर साल नदियों में भारी मात्रा में मत्स्य बीज डाला जाता है, लेकिन अवैध शिकार के चलते बालखिला नदी में मछलियों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने बताया कि जिले की अन्य नदियों में भी फिश एंगलिंग के लिए उपयुक्त स्थानों को तैयार किया जा रहा है. निश्चित रूप से आने वाले समय में पर्यटकों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा.

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए चमोली से ब्यूरो रिपोर्ट

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