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उत्तराखंड : 75 करोड़ के भूमि फर्जीवाड़े में हो रही बड़ी कार्रवाई , हो सकती है सीबीआई की एंट्री

उत्तराखंड : 75 करोड़ के भूमि फर्जीवाड़े में हो रही बड़ी कार्रवाई , हो सकती है सीबीआई की एंट्री

डालनवाला क्षेत्र में 75 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने के मामले में सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन) की देहरादून यूनिट सक्रिय हो गई है।

प्रकरण में वर्ष 2021 में डालनवाला कोतवाली में देहरादून सदर के तत्कालीन तहसीलदार राशिद अली समेत पांच व्यक्तियों पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। उस समय राशिद अली औरैया के एसडीएम थे, जबकि वह अब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एडीएम हैं।

सीबीआई की सक्रियता के बाद लंबे समय से लंबित चल रहे इस प्रकरण में बड़ी कार्रवाई किए जाने की उम्मीद बढ़ गई है। पुलिस में दर्ज मुकदमे के मुताबिक, डालनवाला क्षेत्र के 14-ए सर्कुलर रोड पर डा शरत चंद सिंधवानी की करीब 11 बीघा भूमि व भवन है। यह भूमि उन्होंने वर्ष 1956 में अपनी मां के नाम पर क्रय की थी।

तभी से इसका रिकार्ड सिंधवानी की मां के नाम पर देहरादून नगर निगम (तब नगर पालिका) में चला आ रहा है लेकिन, यह नामांतरण तहसील सदर के रिकार्ड में दर्ज नहीं हो पाया था। इसी का फायदा उठाकर वर्ष 2000-01 में तत्कालीन तहसीलदार राशिद अली ने इस संपत्ति पर किसी जरीना नाम की महिला का नाम दर्ज कर दिया।

हाल में इसी प्रकरण में यह बात सामने आई कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम से वर्ष 1956 के इस बैनामे की मूल पत्रावली गायब कर उसकी जगह गलत दस्तावेज रख दिए गए हैं। लिहाजा, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामजी शरण शर्मा ने फोरेंसिक व विभागीय जांच के आदेश दिए हैं, जबकि एसआइटी (स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन) ने भी कार्रवाई के लिए कहा है।

इसी बीच सीबीआई ने भी लंबे समय के बाद इस हाई प्रोफाइल प्रकरण में दिलचस्पी दिखाते हुए छानबीन शुरू कर दी है। सीबीआई देहरादून की यूनिट के शिकायतकर्ता डा शरत सिंधवानी से भी संपर्क कर कुछ दस्तावेज मांगे हैं।

तत्कालीन राज्यपाल मार्गरेट अल्वा ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआइ जांच के निर्देश दिए थे। हालांकि, मामला ठंडे बस्ते में ही रहा।

अब तक की जांच में यह बात भी सामने आई है कि जिस जरीना नाम की महिला को शरत सिंधवानी की भूमि को कब्जाने के लिए आगे किया गया, उसकी तीन जन्मतिथि के रिकार्ड तहसील सदर से प्राप्त किए गए हैं।

वोटरकार्ड के रूप में इन रिकार्ड में जरीना की जन्मतिथि वर्ष 1949, वर्ष 1945 व वर्ष 1951 दर्शाई गई है। जिससे यह अंदेशा है कि अन्य संपत्तियों को हड़प करने के लिए भी जरीना के ये अलग-अलग जन्मतिथि वाले अभिलेख लगाए गए हैं।

हाई प्रोफाइल जमीन फर्जीवाड़े का प्रकरण प्रवर्तन निदेशालय के पास भी पहुंचा था। हालांकि, उस समय प्रकरण में एफआइआर दर्ज किए जाने की बाध्यता के चलते ईडी आगे नहीं बढ़ पाई थी। वर्ष 2018 में ईडी की देहरादून शाखा ने एफआइआर को लेकर डा शरत को पत्र भेजा था, जबकि इस मामले में फरवरी 2021 में एफआइआर दर्ज की जा सकी।

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |

 

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