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उत्तराखंड : वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट हर बार भूकंप दे रहा चेतावनी के झटके इस वजह से बढ़ा खतरा

उत्तराखंड : वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट हर बार भूकंप दे रहा चेतावनी के झटके इस वजह से बढ़ा खतरा

उत्तराखंड : वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट हर बार भूकंप दे रहा चेतावनी के झटके इस वजह से बढ़ा खतरा

उत्तराखंड : वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट हर बार भूकंप दे रहा चेतावनी के झटके इस वजह से बढ़ा खतरा

इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराने के प्रभावों का जीपीएस के माध्यम से अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि धरती के नीचे बड़ी मात्रा में एनर्जी स्टोर हो गई है। इस वजह से खतरा बढ़ रहा है।
नेपाल में आए भूकंप का असर उत्तराखंड के कई शहरों में महसूस किया गया। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के अनुसार छह मैग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप किसी बड़ी तबाही को आने से बचा गया है। धरती के नीचे इंडियन और यूरेशियन प्लेट के आपस में टकराने से काफी ऊर्जा संग्रहित है। छोटे भूकंप आने से जमा ऊर्जा का ह्रास हो जाता है। इससे बड़े भूकंप का खतरा टल जाता है।
नेपाल में आए भूकंप के उत्तराखंड पर प्रभाव को लेकर वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कालाचंद सेन बताते हैं कि वर्ष 2022 और 2023 में अब तक तीन बार 6 मैग्नीट्यूड के आसपास का भूकंप आ चुका है। इस तीव्रता के भूकंप को धरती के नीचे चल रही हलचल के लिहाज से सकारात्मक तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराने के प्रभावों का जीपीएस के माध्यम से अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि धरती के नीचे बड़ी मात्रा में एनर्जी स्टोर हो गई है।
इस एनर्जी का धीरे-धीरे निकलना आवश्यक है, अन्यथा यह बड़े भूकंप का खतरा पैदा कर देगी। प्लेटों के आपस में टकराने से धरती के नीचे फ्रैक्चर हो गया है। उधर उत्तराखंड के कई जिले लाक जोन में हैं। इस कारण यहां पर एनर्जी बाहर नहीं निकल पा रही है। बताया, कम तीव्रता के भूकंप से एनर्जी स्टोरेज कम होगा, तो बड़े भूकंप का खतरा टल जाएगा। उन्होंने चेताते हुए यह भी कहा कि बार-बार इस तरह भूकंप के आने से किसी बड़े भूकंप का खतरा भी बना हुआ है, लेकिन यह कब आएगा, इसे कहा नहीं जा सकता।
नेपाल में भूकंप के चार झटके लगे तो देहरादून स्थित हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने भूकंप की रीयल टाइम मानीटरिंग शुरू कर दी। कंट्रोल रूम ने बताया कि उत्तराखंड में सिर्फ दो ही झटकों का कंपन महसूस किया गया। पहला झटका 2 बजकर 25 मिनट पर महसूस किया गया, इसकी तीव्रता भूकंप के केंद्र में 4.9 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई। वहीं उत्तराखंड में दूसरा झटका 2 बजकर 51 मिनट पर महसूस हुआ। इसकी तीव्रता केंद्र में 5.7 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई है। उत्तराखंड में इसकी तीव्रता को दर्ज नहीं किया जा सका।
देहरादून भी भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां पहले ही भूकंपीय फॉल्ट सक्रिय स्थिति में पाए जा चुके हैं। भूकंपीय फॉल्ट सक्रिय होने से भूगर्भ में ऊर्जा संचित होती है। यह कितनी मात्रा में इसका अंदाजा वैज्ञानिक भी नहीं लगा सकते। यह ऊर्जा संचय होने के बाद ही भूकंप के रूप बाहर आ जाती है। यह कब बाहर आएगी इसका जवाब दे पाना संभव नहीं। फॉल्ट की सक्रियता का खुलासा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अध्ययन में पिछले दिनों हुआ था।

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |

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