उत्तराखंड : जमरानी बांध में राज्यांश को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होगा करार, सीएम धामी ने पीएम मोदी का जताया आभार
उत्तराखंड : जमरानी बांध में राज्यांश को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होगा करार, सीएम धामी ने पीएम मोदी का जताया आभार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति पर प्रधानमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 1730.20 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इनमें 90 प्रतिशत केंद्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश होगा।
इस राज्यांश को उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश मिल कर वहन करेंगे। इस संबंध में जल्द ही उत्तर प्रदेश से करार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले सरकार का लक्ष्य अभी तक मिले निवेश प्रस्तावों में से राज्य के हित वाले अधिक से अधिक प्रस्तावों को धरातल पर उतारना है।
शनिवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना के निर्माण से हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान होगा, साथ ही विद्युत उत्पादन भी होगा।
उन्होंने कहा कि नैनीताल में काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम में गौला नदी पर 150.60 मीटर ऊंचा यह बांध बनाया जाएगा। इससे 1.50 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र की सिंचाई को पानी मिलेगा। साथ ही 42 एमसीएम पेयजल की उपलब्धता के साथ ही 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 1975 से शुरू इस परियोजना का निर्माण वित्त पोषण के कारण नहीं हो पा रहा था। उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए राज्यांश के 10 प्रतिशत में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पांच-पांच प्रतिशत वहन करेंगे। परियोजना से प्रभावित 351 हेक्टेयर वनभूमि, सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने के लिए केंद्र ने अनुमति प्रदान कर दी है।
परियोजना के प्रभावित 1300 से अधिक परिवारों का विस्थापन पराग फार्म में करने का प्रस्ताव कैबिनेट पारित कर चुकी है। इस भूमि को सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया गतिमान है।
उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना से भी उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा को पानी का लाभ मिलेगा। इसके लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मंजूरी दे चुके हैं। यह बांध यमुना नदी पर लोहारी गांव के पास बनाया जा रहा है। इसमें संग्रहित होने वाले जल का बंटवारा यमुना के तट वाले छह राज्यों के बीच वर्ष 1994 में किए गए समझौते के अनुरूप होगा। इस परियोजना से मिलने वाली बिजली का हक केवल उत्तराखंड का होगा।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |