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आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दफन ‘नंद गोपाल’, है साक्ष्य ?

आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दफन 'नंद गोपाल', है साक्ष्य ?

आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दफन 'नंद गोपाल', है साक्ष्य ?

आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दफन ‘नंद गोपाल’, है साक्ष्यों ?

जहां एक ओर अयोध्या में कोर्ट के आदेश के बाद रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है तो दूसरी ओर काशी और मथुरा का तो मामला अभी न्यायालय में लंबित है और हिंदू पक्ष वर्षों से इन दोनों जगहों पर फिर से भव्य मंदिर निर्माण की मांग कर रहा है, जिसे सैकड़ों वर्ष पहले इस्लामिक आक्रांताओं ने नष्ट करके मस्जिद का निर्माण करवा दिया था.

भारत में जब जब अयोध्या, मथुरा और काशी की बात होती है तब एक नारा जरूर याद आता है कि अयोध्या तो बस झांकी है, काशी–मथुरा अभी बाकी है. जहां एक ओर अयोध्या में कोर्ट के आदेश के बाद रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है तो दूसरी ओर काशी और मथुरा का तो मामला अभी न्यायालय में लंबित है और हिंदू पक्ष वर्षों से इन दोनों जगहों पर फिर से भव्य मंदिर निर्माण की मांग कर रहा है, जिसे सैकड़ों वर्ष पहले इस्लामिक आक्रांताओं ने नष्ट करके मस्जिद का निर्माण करवा दिया था.

लेकिन इस सबके बीच हो सकता है कि आपके मन में भी एक सवाल होगा कि जब इस्लामिक अक्रांता हिंदू मंदिरों का विध्वंस करते थे तो उसमे स्थापित मूर्तियों का क्या करते थे. यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बीते दिनों आगरा की जिला अदालत में याचिका दायर करके दवा किया गया कि मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के विध्वंस करके के बाद क्रूर बादशाह औरंगजेब ने उस मंदिर में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को आगरा की बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों में दफन करवा दिया था और ऐसे में हिंदू पक्ष को ये मूर्तियां वापस दी जाएं.

आगरा की तरह ही पिछले साल दिसंबर में मथुरा की जिला अदालत में भी इसी तरह के दावे के साथ याचिका दायर की गई थी और मस्जिद की सीढ़ियों में दफन मूर्तियों को वापस करने की मांग की गई थी और ये दोनों मामले अभी मथुरा और आगरा की अदालतों में लंबित हैं.

किताब के पेज नंबर 60 पर लिखा है कि रमजान के पाक महीने में 27 जनवरी 1670 को पैगम्बर के मजहब को पुनर्जीवित करने वाले “बादशाह” के आदेश पर मथुरा स्थित मंदिर जिसे केशव देव मंदिर भी कहा जाता है उसका विध्वंस कर दिया गया और जहां मंदिर बना था उस स्थान पर भव्य मस्जिद का निर्माण भी बेहद कम समय में कर दिया गया साथ ही मथुरा के उस मंदिर में मौजूद सभी छोटी बड़ी मूर्तियों और आभूषणों को आगरा लाकर बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों पर दफन कर दिया गया ताकि इन्हे लगातार (पैरों से) दबाया जा सके

.उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए लखनऊ से ब्यूरो रिपोर्ट

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