Saturday, November 22News That Matters

देहरादून में अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर, बार एसोसिएशन ने दिया समर्थन

शहर के पुरानी जिला अदालत की खाली जमीन पर चैंबर निर्माण की मांग को लेकर देहरादून के अधिवक्ता पिछले 6 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं आज शनिवार को बार एसोसिएशन के तले पूरे प्रदेश भर में अधिवक्ता हड़ताल पर हैं. पिछले 5 दिनों में अधिवक्ता कुछ घंटों लिए हड़ताल पर जा रहे थे और उसके बाद कोर्ट का कामकाज शुरू हो जाता था. लेकिन आज पूरा दिन कोर्ट का काम काज ठप रहेगा और अधिवक्ताओं ने सरकार को आने वाले समय में प्रदर्शन को और तेज किए जाने की चेतावनी भी दी है. साथ ही आज अधिवक्ताओं का समर्थन करने के लिए कांग्रेस के उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी भी पहुंचे और सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया है.

6 नवंबर से अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर देहरादून की सड़कों पर सांकेतिक जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को अधिवक्ताओं ने सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे तक (एक घंटा) का सांकेतिक जाम रखा. जबकि मंगलवार को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक (2 घंटे) का सांकेतिक जाम किया. इसी क्रम में पिछले पांच दिनों में अधिवक्ताओं ने धीर-धीरे चरणबद्ध तरीके से अपना आंदोलन जारी रखा है. वहीं आज अधिवक्ता के पूरे दिन के लिए हड़ताल पर बैठ गए हैं. साथ ही आज की हड़ताल में प्रदेश के बार एसोसिएशन ने भी दून बार एसोसिएशन का समर्थन किया है.

अधिवक्ता, जिला जज न्यायालय परिसर में रैन बसेरा बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं. बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि न्यायालय परिसर में वकीलों और अन्य कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है, जिस कारण उन्हें आवंटित की गई भूमि कम पड़ रही है. देहरादून में 5 हजार अधिवक्ता, पांच हजार टाइपिस्ट और वेंडरों के अलावा कई वादकारियों का कोर्ट आना जाना लगा रहता है. लेकिन उनके लिए परिसर में पर्याप्त जगह तक नहीं है. जिस कारण उन्हें आवंटित भूमि कम पड़ रही है. इसलिए चैंबर निर्माण के लिए अतिरिक्त भूमि आवंटित की जाए. जिला जज न्यायालय परिसर में सिविल कंपाउंड हरिद्वार रोड की जमीन भी अधिवक्ताओं को चैंबर निर्माण के लिए मिलनी चाहिए.

वहीं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने बताया है कि जिला जज न्यायालय परिसर में हरिद्वार रोड स्थित सिविल कंपाउंड पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रस्तावित रैन बसेरा बनाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने जा रहे हैं. अन्य राज्यों की सरकारें वकीलों के चैंबर बनाकर देती है, क्योंकि न्यायपालिका और अधिवक्ता एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं. उन्होंने कहा है कि दून के अधिवक्ता सरकार के लिए मुकदमे लड़ती है और हमारे अधिवक्ता राज्य आंदोलकारियों के लिए भी लड़े हैं. राज्य आंदोलकारियों के खिलाफ हुए मुकदमों की पैरवी भी अधिवक्ताओं ने की है. लेकिन सरकार अधिवक्ताओं की अनदेखा कर रही है. पिछले 6 दिनों से अधिवक्ता शांति पूर्वक हड़ताल कर रहे थे. लेकिन अधिवक्ताओं की मांग पूरी नहीं होती है तो आंदोलन और उग्र होगा और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.