हरिद्वार .1 अप्रैल 2023 से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और हरिद्वार जिले में 10 साल पुराने डीजल चालित ऑटो और विक्रम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है . इसकी वजह प्रदूषण से जुड़ी है. उत्तराखंड सरकार द्वारा 10 साल पुराने ऑटो और विक्रम को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी गई है. सरकार द्वारा यह फरमान तब लाया गया, जब चारधाम यात्रा भी शुरू होने वाली है. ऐसे में हरिद्वार एक ऐसा केंद्र है, जहां पर देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से श्रद्धालु अपनी यात्रा शुरू करते हैं. इसके चलते 10 साल पुराने ऑटो-विक्रम चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, जिसके चलते उन्हें कई परेशानियों का सामना करना होगा.
इन सभी बातों को लेकर हमने हरिद्वार में ऑटो-विक्रम चलाने वाले कुछ चालकों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि इन गाड़ियों से उनकी रोजी-रोटी चलती है लेकिन सरकार द्वारा इसे बंद कराया जा रहा है. ऑटो विक्रम चालकों के सामने इसके कारण आत्महत्या और अन्य कई परेशानियां खड़ी होने की संभावना है. उन्होंने सरकार से कुछ समय की मोहलत मांगी है, तो वहीं दूसरी ओर गाड़ी में सीएनजी लगाने की मंजूरी देने की भी अपील की है.
2 लाख का लोन बाकी कैसे होगा गुजारा
हम हरिद्वार के रोड़ी बेलवाला में पहुंचे, जहां पर ऑटो विक्रम चालकों का स्टैंड बना हुआ है. स्टैंड पर कुछ ऑटो और विक्रम चालकों ने इनके बंद होने के कारण होने वाली अपनी-अपनी समस्याओं को बताया. विक्रम चालक रवि कुमार ने कहा कि ऑटो विक्रम बंद होने के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना होगा. उनके पास 2011 मॉडल की गाड़ी है, जिसका अभी तक दो लाख रुपये फाइनेंस वालों का रह गया है. अब ऐसे में बच्चों को पालें या फिर दो लाख रुपये फाइनेंस का चुकाएं. सरकार ने ऑटो विक्रम बंद करके उनके पेट पर लात मार दी है. इसमें उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कुछ समय की मांग की है, जिससे उनका परिवार चल सके. इसके अलावा उनके पास कोई और काम नहीं है.
आत्महत्या ही है एकमात्र विकल्प
विक्रम चालक अमरजीत बताते है कि उनके सामने बहुत नाजुक स्थिति बनी हुई है कि सरकार ने उनकी गाड़ियों को बंद करने का आदेश दिया है. आरटीओ द्वारा उनकी गाड़ी फिट है. चालक अमरजीत बताते हैं कि हम सभी की कोरोना काल से स्थिति खराब है. कोरोना के बाद अब जाकर उनकी गाड़ी पटरी पर आने की उम्मीद थी लेकिन सरकार के इस फरमान से उनके सामने परिवार चलाने और रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में उनके पास केवल आत्महत्या करने का ही विकल्प बचा है.
10 साल की कमाई से तो लोन भी नहीं होता खत्म
ऑटो विक्रम महासंघ के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि हमारे यहां हरिद्वार में ऑटो विक्रम के मालिक ही अपनी गाड़ियां चला रहे हैं. ऐसे में जब सरकार ने 10 साल पुरानी गाड़ियां बंद कर दी हैं, तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट सबसे बड़ा है. वे बताते है कि 10 साल में तो ऑटो विक्रम चालकों का लोन भी नहीं पूरा होता है. वह पूरा दिन ऑटो विक्रम चलाकर शाम को घर के लिए आटा दाल लेकर जाते हैं, जिससे उनके घर चलता है . दो साल कोरोना में जाने के बाद वह अपना लोन नहीं चुका पाए, जिससे बैंक उन्हें दूसरी गाड़ी के लिए लोन भी नहीं देगा, जिससे वह सभी भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे.
गरीबों को तबाह करने पर सरकार आमादा
उन्होंने आगे कहा कि ऑटो विक्रम बंद होने से वे सभी आत्महत्या करने की कगार पर आ जाएंगे, जिसमें अभी तक कुछ लोगों ने भुखमरी के चलते आत्महत्या की भी है. वह बताते हैं कि सरकार से एक-एक साल का समय और दिए जाने के लिए कहा गया लेकिन सरकार के सिर में जूं तक नहीं रेंगी. सरकार गरीब लोगों को तबाह करने पर तुली हुई है. ऑटो विक्रम चालकों के पास कोई ओर रोजगार नहीं है, जिससे वे सभी बेरोजगार हो जाएंगे और इनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. वहीं सरकार से दूसरा आग्रह किया गया है कि ऑटो विक्रम में सीएनजी इंजन जिसकी कीमत महज 40-50 हजार रुपए होती है, वह बदलवाने की अनुमति दी जाए लेकिन वह भी सरकार ने नहीं सुनी. सत्यनारायण शर्मा कहते हैं कि सभी 10 साल पुराने ऑटो विक्रम की फिटनेस करवाएं, जो भी ऑटो या विक्रम फिटनेस में फेल हो जाए उसे बंद करवा दें लेकिन जो गाड़ी फिटनेस में पास हो जाए, उन्हें बंद ना करें.
उत्तरांचल क्राइम न्यूज के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट