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भाजपा ने उत्तराखंड में पार्टी नेतृत्व में बदलाव कर एक तीर से कई निशाने साधे

देहरादून: भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में पार्टी नेतृत्व में बदलाव कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। गढ़वाल मंडल से युवा एवं तेज तर्रार ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने के साथ ही ‘युवा उत्तराखंड, युवा मुख्यमंत्री’ के नारे साथ अब युवा अध्यक्ष को जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। यही नहीं, पार्टी को अब एक के बाद एक चुनावों की परीक्षा से गुजरना है।

राज्य में नए कलेवर में निखरी नजर आएगी भाजपा

ऐसे में पार्टी ने अक्टूबर से प्रस्तावित सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया में जाने की बजाए नए अध्यक्ष की नियुक्ति करना बेहतर समझा है, ताकि चुनावी तैयारियों पर असर न पड़े। यही नहीं, भट्ट की छवि कट्टर हिंदूवादी की है। ऐसे में माना जा रहा कि आने वाले दिनों में राज्य में भाजपा नए कलेवर में निखरी नजर आएगी।

क्षेत्रीय, जातीय गणित को भी रखा जाता आ रहा केंद्र में

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो उत्तराखंड गठन के बाद से दोनों दलों में सरकार व संगठन के मुखिया को लेकर क्षेत्रीय, जातीय गणित को भी केंद्र में रखा जाता आ रहा है। यदि मुख्यमंत्री गढ़वाल से होंगे तो प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊं से होगा। एक चेहरा ब्राह्मण होगा तो दूसरा राजपूत। वर्ष 2017 में जब गढ़वाल से त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो कुमाऊं से अजय भट़्ट प्रदेश अध्यक्ष थे। बाद में कुमाऊं से बंशीधर भगत को अध्यक्ष बनाया गया। पिछले वर्ष मार्च में सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया तो ब्राहमण चेहरे के रूप में मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी गई। जुलाई में दोबारा हुए नेतृत्व परिवर्तन में कुमाऊं से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने। चूंकि प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ब्राह्मण समाज से आते हैं तो नेतृत्व परिवर्तन में पार्टी अब गढ़वाल से ही 51 वर्षीय ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट को लेकर आई है।

लगाए जा रहे थे प्रदेश संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के कयास

यद्यपि, इस वर्ष विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश संगठन में नेतृत्व परिवर्तन के कयास लगाए जाने लगे थे। कारण ये कि चुनाव में हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों में भाजपा को अपेक्षानुरूप सफलता नहीं मिल पाई थी। इसे लेकर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने तब सख्त नाराजगी जताई थी। यही नहीं, तब इन दोनों जिलों में पार्टी में भितरखाने हुई खींचतान को चुनाव परिणाम से जोड़कर देखा गया। हरिद्वार जिले में तो विधानसभा चुनाव में भितरघात के आरोप तक लगे थे। हालांकि, प्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन अब जाकर किया गया है। इसके साथ ही पार्टी ने स्थानीय सांसद से तालमेल को भी महत्व दिया है।

इसल‍िए नए अध्‍यक्ष की हुई न‍ियुक्‍त‍ि

यही नहीं, पार्टी अब अगले माह हरिद्वार में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के साथ ही राज्य में अगले साल होने वाले निकाय चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। इस बीच अक्टूबर से पार्टी के सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होनी थी, जो सात-आठ माह तक चलती है। ऐसे में चुनाव की तैयारियां बाधित न हो, इसे देखते हुए पार्टी ने कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पूर्ण होने से दो माह पहले ही उनसे त्यागपत्र लेकर नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी।

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