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बॉलीवुड के मशहूर विलेन हैं ‘मोगैंबो’ के भाई मदन पुरी, ‘दीवार’ में ‘सामंत’ बन छा गए थे अभिनेता |

बॉलीवुड के मशहूर विलेन हैं 'मोगैंबो' के भाई मदन पुरी, ‘दीवार’ में ‘सामंत’ बन छा गए थे अभिनेता |

बॉलीवुड के मशहूर विलेन हैं 'मोगैंबो' के भाई मदन पुरी, ‘दीवार’ में ‘सामंत’ बन छा गए थे अभिनेता |

बॉलीवुड के मशहूर विलेन हैं ‘मोगैंबो’ के भाई मदन पुरी, ‘दीवार’ में ‘सामंत’ बन छा गए थे अभिनेता |

बॉलीवुड की फिल्मों में इश्क का मुकम्मल हो पाना इतना आसान नहीं होता। एक ओर हीरो और हीरोइन का इश्क परवान पर चढ़ता है, तो विलेन इन्हें दूर करने की कोशिश में लगा रहता है। विलेन की एंट्री के बिना बॉलीवुड फिल्में अधूरी सी लगती हैं। बड़े पर्दे पर कई अभिनेताओं ने विलेन का किरदार निभाया है, लेकिन आज हम अपने जमाने के उस मशहूर खलनायक की बात करने जा रहे हैं जो भारी भरकम शरीर के मालिक तो नहीं थे, पर अपनी अनोखी डायलॉग डिलीवरी और कुटिल मुस्कान से वह हर किरदार को जीवंत कर देते थे। यह कोई और नहीं ‘मोगैंबो’ यानी अमरीश पुरी के बड़े भाई मदन पुरी थे।

मदन पुरी को अगर आप अभी भी नहीं पहचान पाए हैं, तो अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘दीवार’ के सामंत को याद कीजिए। वहीं, सामंत जिसके गुंडों की पिटाई करने पर विजय यानी अमिताभ बच्चन की अंडरवर्ल्ड में एंट्री हो जाती है और बाद में वह विजय की गर्लफ्रेंड का ही मर्डर कर देता है। आज उन्हीं मदन पुरी की डेथ एनिवर्सरी है। 30 सितंबर 1915 को पंजाब के नवाशहर में जन्मे मदन पुरी ने 13 जनवरी 1985 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। अपने फिल्मी करियर में उन्होंने करीब 430 फिल्मों में काम किया है। किसी में वह खलनायक बन पर्दे पर था गए, तो किसी में बड़े भाई या साइंटिस्ट का किरदार निभाया। लेकिन जो पहचान उन्हें विलेन बनकर मिली वह सबके परे थी।

मदन पुरी को बचपन से ही फिल्मी दुनिया में आने की ललक थी। उन्हें इस इंडस्ट्री में लाने का श्रेय अपने जमाने के मशहूर अभिनेता और गायक कुंदन लाल सहगल को जाता है, जो उनके चचेरे भाई थे। 1940 में मदन पुरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम कमाने के लिए मुंबई आ गए। एक साल बाद 1941 में आई फिल्म ‘खजांची’ में उन्हें स्टेज पर नाचने के लिए एक छोटा का किरदार मिला। इसके बाद कुंदन लाल की सिफारिश पर उन्हें अपनी दूसरी फिल्म ‘मेरी बहन’ मिली। तीन साल तक इंडस्ट्री में संघर्ष करने के बाद 1946 में उन्हें ‘अहिंसा’ में बड़ा ब्रेक मिला था।

शक्ति सामंत उन दिनों थ्रिलर फिल्मों के बादशाह माने जाते थे। मदन पुरी उनकी ही फिल्म में पहली बार खलनायक के किरदार में नजर आए थे। शक्ति सामंत ने ‘हावड़ा ब्रिज’ और ‘चाइना टाउन’ के बाद ‘सिंगापुर’ फिल्म बनाई थी। इन तीनों ही फिल्मों में मदन पुरी चाइना मैन के किरदार में नजर आए, क्योंकि शक्ति सामंत का मनना था कि उनकी शक्ल चीन के लोगों से मिलती है। ऐसे ही धीरे-धीरे वह खलनायक की भूमिका निभाने लगे और उनका यह सफर शुरू हो गया। मदन की लोकप्रियता भी काफी बढ़ गई थी और हर साल उनकी औसत आठ फिल्में तो रिलीज हो ही जाती थीं। वहीं, अपने छोटे भाई अमरीश पुरी को फिल्मों में लाने का श्रेय भी मदन पुरी को ही जाता है।

मदन पुरी ने बॉलीवुड में ही नहीं कई पंजाबी फिल्मों में भी काम किया था। वहीं, 13 जनवरी 1985 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। अभिनेता के निधन के बाद उनकी कई सारी फिल्में रिलीज हुई थीं, जिनमें 1989 में आई ‘संतोष’ आखिरी थी। मदन पुरी की कुछ बेहतरीन फिल्मों में ‘हाथी मेरे साथी’, ‘आमने सामने’, ‘चोर मचाए शोर’, ‘चीख’, ‘गुमनाम’, ‘नूरी’, ‘दीवार’ सहित कई फिल्में शामिल हैं।

उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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