Thursday, February 13News That Matters

आध्यात्मिक

बाबा बालक नाथ के दर 15 हजार भक्तों ने टेका माथा, भारी संख्या में दियोटसिद्ध पहुंचे श्रद्धालु |

बाबा बालक नाथ के दर 15 हजार भक्तों ने टेका माथा, भारी संख्या में दियोटसिद्ध पहुंचे श्रद्धालु |

आध्यात्मिक
बाबा बालक नाथ के दर 15 हजार भक्तों ने टेका माथा, भारी संख्या में दियोटसिद्ध पहुंचे श्रद्धालु | प्रदेश भर के शक्तिपीठों में इन दिनों में श्रद्धाुलओं की काफी भीड़ उमड़ रही है। खासकर वीकेंड पर सभी मंदिरों में हजारों की तादाद में भक्त शीश नवाने पहुंच रहे हैं। वहीं प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े इंतजाम किए हैं। बताया जा रहा है रविवार को जिला कांगड़ा के बजे्रश्वरी, श्री चामुंडा मंदिर, मां ज्वालामुखी, जिला ऊना के चिंतपूर्णी मंदिर, हमीरपुर में दियोटसिद्ध मंदिर व बिलासपुर के श्री नयनादेवी मंदिर व शाहतलाई में बाहरी राज्यों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उधर, उत्तर भारत के शक्तिपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में मेले शुरू होने में अभी कुछ ही समय बचा है और मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढऩा शुरू हो गई है। रविवार के दिन भी काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे ...
केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पं. पंकज शास्त्री जी के साथ जानिए आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पं. पंकज शास्त्री जी के साथ जानिए आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

आध्यात्मिक
मङ्गलमयी शुभप्रभातम्... आज का राशिफल (12-08-2021) आज व्यापारिक सौदें हाथ आने से आपका उत्साह बढ़ेगा। आपकी चुप्पी को गलत समझा जाएगा और उस पर सवाल खड़े किये जायेंगे। कुछ लोग आपके खिलाफ साजिश भी कर सकते हैं। जोखिम और जवाबदारी के कामों में सावधानी रखें। दूसरों को आपके सहयोग कि जरूरत है, सहयोग जरूर करें। किसी परीक्षा प्रतियोगिता के लिए तैयार रहें। आज किसी अजनबी पर भरोसा ना करें। पिता की ओर से आर्थिक सहायता मिल सकती है। भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम, भाग्यशाली संख्या : 5, भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग आज व्यावसायिक रूप से अच्छा समय है। आर्थिक लाभ भी शुभ रहेगा। आपके कार्य पूर्ण तो होंगे किन्तु उनमे कुछ देरी हो सकती है। दैनिक क्रियाकलापों में आप अपने परिवार के सदस्यों की भागीदारी और प्रदर्शन से प्रसन्न होंगे। नए नौकरी चाहने वाले विशेष रूप से तकनीकी क्षेत्र में, अच्छे पद को प्राप्त करें...
प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए…

प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए…

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास, शिव तत्व प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें भगवान शिव से सीखनी चहिए। दुनिया वाले भी प्रेम करते हैं, मगर सिर्फ़ उस वस्तु को जो उनके उपयोग की हो। अनुपयोगी अथवा बिना कारण किसी से अगर कोई प्रेम करता है तो वो भगवान शिव ही हैं। इसलिए वो भूत भावन भी कहलाते हैं। भूतों से प्रेम करना अर्थात समाज में उन लोगों से भी प्रेम करना जो समाज द्वारा तिरस्कृत हों अथवा समाज जिन्हें उपेक्षित समझता हो व उनसे नफरत करता हो। भूत भावन भगवान शिव से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि समाज का चाहे कोई भी वर्ग अथवा कोई भी व्यक्ति क्यों न हो अगर आप उन्हें ज्यादा कुछ न दे सको तो कोई बात नहीं, कम से कम एक प्रेम भरी मुस्कान जरूर दे दिया करो। इतनी ऊँचाई न देना ईश्वर कि धरती पराई लगने लगे, इनती खुशियाँ भी न देना, दुःख पर किसी के हंसी आने लगे। नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका निर्बल पर प्रयोग करूँ, न...
केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पंडित पंकज शास्त्री जी के साथ जानते हैं आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पंडित पंकज शास्त्री जी के साथ जानते हैं आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

आध्यात्मिक
मङ्गलमयी मधुर प्रभातम्... समस्त देशवासियों को हरियाली तीज (मधुश्रवा स्वर्णगौरी तीज) की हार्दिक शुभकामनाएँ! आज का खगोलीय ग्रहगणित (पंचाङ्ग) ११ अगस्त २०२१ विक्रम सम्बत् - २०७८ शक सम्बत् - १९४३ आनन्द नाम सम्बत्सर अयन - दक्षिणायन ऋतु - वर्षा ऋतु मास - श्रावण मास पक्ष - शुक्लपक्ष तिथि - तृतीया दिन ५:०१ तक तदुपरान्त चतुर्थी वार - बुधवार नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी दिन १०:४२ तक तदुपरांत उत्तरा फाल्गुनी योग - शिव रात्रि ०८:२६ तक करण - गर करण ०४:५३तक चन्द्रमा - सिंह राशि दिन ०४:३२ तक तदुपरांत कन्याराशि भद्रा - रात्रि ०४:१७ से समस्त सूर्योदय - ०५:३० सूर्यास्त - ०६:३० चन्द्रोय - ०८:१० चन्द्रास्त - ०८:५२ औदयिक सूर्यस्पष्ट - ३/२३/५१/२१ रलवे अन्तर - मिनट +४ राहुकाल - १२:३२-०२:९ अशुभ। अभिजित मुहूर्त - १२:०६-१२:५८‌ दूर मुहूर्त - १२:०६-१२५८ अशुभ। ••••••••••••••••••••••••••••••••...
केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पंडित पंकज शास्त्री जी के साथ जानते हैं आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

केदारनाथ (उत्तराखंड) देवभूमि हिमालय से पंडित पंकज शास्त्री जी के साथ जानते हैं आज का राशिफल ‘शब्द रथ’ पर

आध्यात्मिक
मङ्गलमयी मधुर प्रभातम् ..... आज का ज्योतिषीय ग्रहगणित दिनाँक १० अगस्त २०२१ विक्रम सम्बत् - २०७८ शक सम्बत् - १९४३ सम्बत्सर - आनन्द, अयन - सूर्य दक्षिणायण ऋतु - वर्षा ऋतु मास - श्रावण मास पक्ष - शुक्ल पक्ष तिथि - द्वितीया सायं ०६:०४ वार - मङ्गलवार नक्षत्र - मघा दिन १०:५२ तदुपरि पूर्वाफाल्गुनी योग - परिघ रात्रि १०:२१ करण - वालब ०२:०९ तदुपरि कौलव चन्द्रमा - सिंह राशि सूर्य - कर्क राशि सूर्योदय - ०५:२९ सूर्यास्त - ०६:३१ औदयिक सूर्य स्पस्ट - ३/२२/५३५९ चन्द्रोदय - ०७:२६:४५ चन्द्रास्त - ०८:३६ राहु काल - ०३:४७-०५:२४ अभिजित मुहूर्त - १२:०६-१२:५८ आज का राशिफल (10-08-2021)   गलतफहमी और लगातार असहमति परिवारिक माहौल को निराशाजनक बना सकती है। यह स्थिति आपको तनावग्रस्त कर सकती हैI आज कार्य स्थल पर सहकर्मियों और अधीनस्थों से टकराव होने का खतरा है। घरेलू मोर्चे से निपटने के ...
चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है?

चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है?

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन.. श्रावण मास शिव तत्व भगवान शिव की आराधना के पवित्र श्रावण मास में चिन्तन करें कि शिवजी की सवारी नंदी (बैल) का क्या अभिप्राय है? बैल अर्थात धर्म, बैल धर्म का स्वरूप है। बैल की सवारी करना अर्थात प्रत्येक कर्म धर्मानुसार करना। जिस मनुष्य के जीवन में धर्म नहीं वह साधन सम्पन्न रहने पर भी दुखी ही रहता है, जहाँ धर्म रुपी साधना है वहाँ साधनों के अभाव में भी सुख और शांति है। प्रसन्नता भीतर की स्थिति है। धर्माचरण करने से नव संकल्पों का सृजन होता है और भीतर तृप्ति बनी रहती है। महादेव प्रत्येक क्षण इसलिए प्रसन्न नहीं रहते कि उनके पास साधन हैं बल्कि इसलिए प्रसन्न रहते हैं कि उनके पास धर्म रुपी साधना है। शिव धर्म पर सवार हैं इसीलिए वो महादेव हैं। हमें ये समझना होगा कि सुख धन नहीं धर्म से ही प्राप्त होगा।...
जो बातें अहितकर हों उन्हें न अपने मुख में रखें न भीतर जाने दें… पचा जाएँ शिवजी की तरह

जो बातें अहितकर हों उन्हें न अपने मुख में रखें न भीतर जाने दें… पचा जाएँ शिवजी की तरह

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास शिवतत्व भगवान् शिव का एक नाम नीलकंठ भी है। समुद्र मंथन के समय निकले विष को लोक कल्याणार्थ भगवान शंकर पान कर गए। विष को न उन्होंने अपने भीतर जाने दिया और न ही मुख में रखा, कंठ में रख लिया। जीवन है तो पग-पग पर बुराइयों का सामना भी करना पड़ता है। जीवन को आनन्दपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है कि जो बातें हमारे लिए अहितकर हों हम उन्हें न अपने मुख में रखें और न अपने भीतर जाने दें। शिवजी की तरह पचा जाएँ। विषमता रुपी विष अगर आपके भीतर प्रवेश कर गया तो यह आपके जीवन की सारी खुशियों को जलाकर भस्म कर देगा। इसलिए इसे कंठ तक ही रहने देना, चित (मन) तक मत ले जाना। कल का दिन किसने देखा है, आज अभी की बात करो। ओछी सोचों को त्यागो मन से, सत्य को आत्मसात करो। हिम्मत कभी न हारो मन की, स्वयं पर अटूट विश्वास रखो। मंजिल खुद पहुंचेगी तुम तक, मन में सोच कुछ खास रखो।...
अमित नैथानी मिट्ठू…. महादेव आप सत्य हो, अनन्त हो, अविनाशी हो…

अमित नैथानी मिट्ठू…. महादेव आप सत्य हो, अनन्त हो, अविनाशी हो…

आध्यात्मिक
अमित नैथानी मिट्ठू ऋषिकेश, उत्तराखंड ------------------------------------- महादेव कितने सौम्य हैं आप। गले मे सर्प, कानों में बिच्छू, वस्त्रों में बाघम्बर, दुनिया जिनसे दूर भागती है उन्हें आपने अपना आभूषण बना रखा है। चन्दन लगाने के बजाय आप श्मशान की भस्म से खुद को शृंगित करते हो। मस्तक पर चन्द्र और जटाओं में गङ्गा को स्थान दिया है, जिन्हें मांगलिक कार्यों में कोई भी बुलाने की तो छोड़ो सोचता तक नहीं है, उन भूत-पिशाचों को आप अपने विवाह में निमंत्रण देते हो। अहो! कितने करुण हो आप महादेव। सिर्फ एक लोटा जल से आप प्रसन्न हो जाते हो। संसार के विषाक्त पदार्थों को अपने कण्ठ में प्रच्छन्न कर देते हो। ध्यानस्थ होकर किसका तथ्यान्वेषण करते हो? आप भूतों के भी उतने ही प्रिय हो जितने भक्तों के.. मैं न तो भक्त हूँ और न मेरे पास आपको न्यौछावर करने के लिए कुछ है। वह जल जिससे आपका अभिषेक करता हूँ वह...
किसी वस्तु की प्राप्ति पर न अभिमान हो और न छूटने पर दुःख… यही तो योग है…

किसी वस्तु की प्राप्ति पर न अभिमान हो और न छूटने पर दुःख… यही तो योग है…

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन योगस्थ: कुरुकर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय सिद्धय सिद्धयो:समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते! हमारे व्यवहारिक जीवन में योग का क्या साधन है अथवा व्यवहारिक जीवन में योग को कैसे जोड़ें? इसका श्रेष्ठ उत्तर केवल गीता के इन सूत्रों के अलावा कहीं और नहीं मिल सकता है। गुफा और कन्दराओं में बैठकर की जाने वाली साधना ही योग नहीं है। हम अपने जीवन में, अपने कर्मों को कितनी श्रेष्ठता के साथ करते हैं, कितनी स्वच्छता के साथ करते हैं बस यही तो योग है। गीता जी तो कहती हैं कि किसी वस्तु की प्राप्ति पर आपको अभिमान न हो और किसी के छूट जाने पर दुःख भी न हो। सफलता मिले तो भी नजर जमीन पर रहे और असफलता मिले तो पैरों के नीचे से जमीन काँपने न लग जाये। बस दोंनो परिस्थितियों में एक सा भाव ही तो योग है। यह समभाव ही तो योग है।...
डमरू मतलब आनंद और त्रिशूल मतलब वेदना दोनों एक-दूसरे के विपरीत

डमरू मतलब आनंद और त्रिशूल मतलब वेदना दोनों एक-दूसरे के विपरीत

आध्यात्मिक
भगवद चिन्तन... श्रावण मास शिव तत्व भगवान शिव का स्वरूप देखने में बड़ा ही प्रतीकात्मक और सन्देशप्रद है। हाथों में त्रिशूल यानी तीनों ताप दैहिक, दैविक और भौतिक को धारण किए हैं। लेकिन, यह क्या हाथों में त्रिशूल और त्रिशूल पर भी डमरू? डमरू मतलब आनंद और त्रिशूल मतलब वेदना दोनों एक-दूसरे के विपरीत। जीवन ऐसा ही है। यहाँ वेदना तो है ही लेकिन, आनंद भी कम नहीं। आज आदमी अपनी वेदनाओं से ही इतना ग्रस्त रहता है कि आनंद उसके लिए मात्र एक काल्पनिक वस्तु बनकर रह गया है। दुखों से ग्रस्त होना यह अपने हाथों में नहीं लेकिन, दुखों से त्रस्त होना यह अवश्य अपने हाथों में है। भगवान शिव के हाथों में त्रिशूल और उसके ऊपर लगा डमरू हमें इस बात का सन्देश देता है कि भले ही त्रिशूल रूपी तापों से तुम ग्रस्त हों लेकिन, डमरू रूपी आनंद भी साथ होगा तो फिर नीरस जीवन भी उत्साह से भर जाएगा।...