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उत्तराखंड: युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहे हे स्ट्रोक के मामलेः डॉ. दीपक गोयल।

हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) जौलीग्रांट में विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें स्ट्रोक की पहचान, आपातकालीन देखभाल और बचाव के विषय में जानकारी दी गयी।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के बीसी रॉय सभागार में न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक गोयल ने कहा कि भारत में हर 40 सेकंड में एक ब्रेन स्ट्रोक होता है। स्ट्रोक अब केवल बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए हमें जागरूक और शिक्षित होना पड़ेगा।स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें।
डॉ. दीपक गोयल ने कहा कि स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है, जिससे समय पर इलाज शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के मुख्य लक्षणों में चेहरे में, हाथ या पैर में कमजोरी या सुन्नता (आमतौर पर शरीर के एक तरफ), बोलने या समझने में कठिनाई, देखने में परेशानी, चलने में संतुलन की कमी और अचानक तेज सिरदर्द शामिल हैं। स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है क्योंकि तुरंत चिकित्सा सहायता से मस्तिष्क को होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।आपातकालीन देखभाल।
डॉ. गोयल ने बताया कि स्ट्रोक के दौरान हर मिनट बहुत कीमती होता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू होता है, ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होती है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के मरीजों को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए और उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट की देखभाल में रखना चाहिए।कैसे करें स्ट्रोक से बचाव।
डॉ. दीपक गोयल ने बताया कि स्ट्रोक से बचाव के लिए हमें नियमित रूप से अपने रक्तचाप और मधुमेह की जांच करानी चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।

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