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वरिष्ठ साहित्यकार भारती पाण्डे की एक कविता.. सखी! सावन आया है

वरिष्ठ साहित्यकार भारती पाण्डे की एक कविता.. सखी! सावन आया है

राष्ट्रीय
भारती पाण्डे देहरादून, उत्तराखंड ------------------------ सावन आया है .... तप्त धरा संतृप्त, हृदय असंतृप्त कृष्णमेघ कौतुकी, अवनी अंबर संपृक्त झर झर झर पावस सर्वत्र समाया सखी! सावन आया है। ताल-नद जलाकंठ, नहीं कोई रिक्त नदी-कछारों में, हरियर मुस्काया सखी! सावन आया है। श्यामल दिग–दिवस साँझ, झूमें तरु-पीपर पात स्वप्न जागे मन-मन में प्रेम अकुलाया सखी! सावन आया है। मेघों का गर्जन दामिनी–नर्तन मन मयूर चहका, नूपुरों की रुनझुन श्रावणी-कजरी युगल गीत गाया सखी! सावन आया है। वेगवती चलीं सागर की ओर प्रिय-मिलन आतुरता अहो! उमंग–पुरजोर नेह भरे चंचल चित्त-प्रीत की माया सखी! सावन आया है। सुन री सखी! ऋतु सावन-धनी हेरन-सुधबुद्ध कहाँ रे सखी! कोयल की कूक, अमराई-झूले गाँव की गैल-छैल, स्मृतियों के रेले पुलकित तन-मन, मेहंदिया गंध क्षितिज से क्षितिज तक इंद्रधनु छाया सखी! सा...