नीरज नैथानी… गांव में कोई भी ऐसा न था जो इस उत्साह में शामिल न होता हो…
नीरज नैथानी
रुड़की, उत्तराखंड-
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पुराने जमाने मे पर्वतीय गांव में शादी
पुराने जमाने मे पर्वतीय गांवों में शादी का निराला ही अंदाज होता था। किसी परिवार में शादी है तो पूरा गांव उसमें सहभागिता करता था। शादी का दिन बार तय होते ही तैयारियां शुरु हो जाती थीं। आंगन में युवतियों व लड़कियों के छोटे-छोटे समूह बने अनेक प्रकार के काम कर रहे होते थे। सामूहिक रूप से चौक के उरख्याले (ओखली) में गंजाळे (मूसल) से कुटाई हो रही है, हाथ से घुमाकर चलाने वाली पत्थर चक्की में दाल पिसाई हो रही है। सूप व छलनी से छनाई हो रही है, घर व आस-पास सफाई की जा रही है, घराट में जाकर आटा पिसाई हो रही है, लकड़ी काट कर इकठ्ठा की जा रही है। जंगल से माळू के पत्ते तोड़कर लाए जाते थे, फिर बरामदे में बैठकर पत्तल व दोने बनाए जाते थे।
बाजार से रंगीन कागज मंगाकर लड़कों को दिया गया है वे ...