वाहनों को गिरवी रखकर ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय!
वाहनों को गिरवी रखकर ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय!
बैंकों से फाइनेंस कराने वाले कई वाहन स्वामी बैंक के कर्ज को लेकर रहते हैं परेशान गिरवी रखने वाले गिरोह का भी झेल रहे उत्पीड़न व यातना|
देहरादून – उत्तराखंड राज्य में न सिर्फ साइबर क्राइम अपराध बढ़ रहे हैं, बल्कि कई ऐसे गिरोह भी सक्रिय रूप से ठगी का कारोबार कर रहे हैं जिनसे कि भुक्तभोगी काफी अधिक परेशान हैं | ऐसे कई मामलों की शिकायतें भी पुलिस अधिकारियों के सम्मुख अथवा विभिन्न थाना-चौकियों में पीड़ितों द्वारा दी जाती हैं, लेकिन उनमें से कईयों के मामलों को दबा दिया जाता है |
यूं तो उत्तराखंड राज्य में कई जगह साइबर क्राइम अपराध एवं अन्य अपराधिक मामलों में वृद्धि हो रही है, तो वही और भी कई ठगी के मामले घटित हो रहे हैं | मिली जानकारी के अनुसार, राज्य की राजधानी देहरादून में पिछले कुछ वर्षों से जमीनों के नाम पर लाखों-करोड़ों की ठगी एवं धोखाधड़ी के मामलों में जहां बेतहाशा वृद्धि दर्ज हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा गिरोह भी द्रोण नगरी देहरादून में सक्रिय है जो कि वाहनों को गिरवी रखवा कर वाहन स्वामी से बड़े पैमाने पर ठगी का कारोबार कर रहे हैं | ऐसे गिरोह के सदस्य राज्य से लगे उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ इत्यादि इलाकों के बताए जाते हैं | इन क्षेत्रों के लोग देहरादून आ कर यहां की भोली-भाली जनता को अपनी ठगी का शिकार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं|विभिन्न बैंक प्रतिष्ठानों से फाइनेंस कराकर कार एवं दुपहिया वाहनों को किस्त के आधार पर वाहन स्वामी खुशी-खुशी लेकर अपने सपनों को साकार करता है, लेकिन कई ऐसे वाहन स्वामी बैंक की किस्त समय पर नहीं चुका पाते हैं |लेकिन वाहन गिरवी रखने वाले गिरोह के सदस्य ऐसे मजबूर वाहन स्वामियों पर अपनी पैनी नजरें रखते हैं और बैंक की किस्त पूरी तरह से समय पर न चुकाने के नाम पर वाहन स्वामियों को अपने झांसे में लेकर उनके वाहन अपने पास गिरवी रख लेते हैं | ऐसा होने से वाहन स्वामी और भी अधिक परेशान होने लगता है और उसे आगे चलकर न सिर्फ बैंक की किस्तों को लेकर आर्थिक रूप से भारी भरकम परेशानी एवं चिंता हो जाती है, तो वही वाहन को गिरवी रखने वाले गिरोह के सदस्य भी पीड़ित वाहन स्वामी को उत्पीड़ित करने एवं यातनाएं देने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं | पेड़ से गिरे और खजूर में अटके वाली कहावत परेशानी के रूप में ऐसे वाहन स्वामियों के लिए काफी ज्यादा मुसीबत बन जाती है | हैरानी की बात यह है कि पीड़ित वाहन स्वामी अपनी फरियाद लेकर तथा न्याय के लिए पुलिस थाना, चौकी में भी जाता है और मदद की गुहार लगाता है, लेकिन उनकी सुनवाई अक्सर बीच भंवर में ही फंस जाती है | बेचारे ऐसे फरियादी को न पुलिस से इंसाफ मिलता है और न ही उसे वाहन को गिरवी रखने वाले गिरोह के सदस्यों की यातनाओं से निजात मिलती है | ऐसी विकट परिस्थितियों में आर्थिक स्थिति से जूझते हुए वे दर-दर की ठोकरें खाते हुए आत्महत्या करने तक को विवश हो जाते हैं ?सवाल यह है कि आखिर पुलिस और बैंक प्रतिष्ठान ऐसे मामलों पर पीड़ित व्यक्ति को इतना अधिक परेशान क्यों करते हैं और उनकी समस्या का समाधान करवाने की कोशिश क्यों नहीं की जाती? पुलिस की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं, क्योंकि वह भी वाहनों को गिरवी रखने वाले गिरोह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेती | यही कारण है कि वाहनों को गिरवी रखने वाले गिरोह ठगी का कारोबार बेखौफ होकर कर रहे हैं? पुलिस को चाहिए कि ऐसे गिरोह को देवभूमि उत्तराखंड में पनपने न दें | ताकि भोले-भाले लोग उनके चंगुल में न फस सके |
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |