केदारनाथ धाम में घोड़े खच्चर की मौतों का गरमा रहा मामला
देहरादून – उत्तराखंड राज्य में चारधाम यात्रा अभी संचालित है और देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु इस चारधाम यात्रा में अपनी श्रद्धा एवं पुण्य कमाने के लिए आ रहे हैं | इसी चारधाम यात्रा आस्था के मंदिर तक पहुंचने के लिए सिर्फ घोड़े खच्चर ही एक साधन श्रद्धालुओं, खास तौर से वृद्ध जनों के लिए हैं, परंतु यह घोड़े खच्चर श्रद्धालुओं को सुविधा देने उनकी सेवा-भाव करते हुए उनको यथा स्थान पहुंचाने के लिए लंबा मार्ग तय करते हुए जैसे-तैसे पहुंच रहे हैं|लेकिन इन घोड़े खच्चर के संचालकों /स्वामियों के सामने कई प्रकार की व्यवहारिक तथा आर्थिक कठिनाइयां अपने लिए ही नहीं, बल्कि अपने इन घोड़े खच्चरओं के लिए भी हैं | चारधाम यात्रा शुरू करने से पूर्व सरकार अथवा शासन की ओर से न तो इन घोड़े खच्चरओं के लिए बीच में पड़ाव की व्यवस्था, उनके लिए घास व पानी की व्यवस्था की गई और न ही उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही कोई व्यवस्था किए जाने पर विचार किया गया है | यही कारण है कि घोड़े खच्चर भूखे प्यासे ही गंतव्य स्थानों की ओर अपनी सवारियों अथवा श्रद्धालुओं को लेकर थक हार कर दौड़ने को मजबूर हैं | यही कारण है कि दर्जनों की संख्या में घोड़े खच्चर इसी केदारनाथ यात्रा के दौरान अपना दम तोड़ चुके हैं | ऐसा होने को लेकर सरकार की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है सरकार को चाहिए कि वह घोड़े खच्चर के स्वामियों अथवा संचालकों को उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई करते हुए समुचित मुआवजा देने पर गंभीरता से विचार करे |
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |