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अवैध खनन क्यों रुकेगा जनाब? *माफियाओं के सामने विभागीय अफसर जो है बौने! *अवैध खनन होने से प्रतिवर्ष सरकार और संबंधित विभाग को भारी राजस्व का हो रहा है नुकसान

अवैध खनन क्यों रुकेगा जनाब?

*माफियाओं के सामने विभागीय अफसर जो है बौने!

*अवैध खनन होने से प्रतिवर्ष सरकार और संबंधित विभाग को भारी राजस्व का हो रहा है नुकसान

*सदन से लेकर सड़क तक माफियाओं के खिलाफ बुलंद होती रहती है आवाज, लेकिन नहीं होता कोई एक्शन

देहरादून –   उत्तराखंड राज्य में खनन माफियाओं के खिलाफ शायद ही कोई ऐसा कोना अथवा नदी हो, जिससे खनन करने पर विरोधी आवाजें बुलंद नहीं होती होंगी | अरे जनाब! माफियाओं की भी रोजी-रोटी अथवा काम धंधा चलना चाहिए, क्योंकि यदि इन खनन माफियाओं के खिलाफ उनकी मुखालफत करने वालों के तेवर बुलंद होते रहेंगे, तो ऐसे में उनका काम-धंधा तो चौपट होकर रह जाएगा और उनके सामने भी रोजी रोटी का संकट हो जाएगा| तब उन्हें सरकार से गुहार लगाने को विवश होना पड़ेगा?
उत्तराखंड में खनन माफियाओं के विरुद्ध मोर्चा खोलने वालों की कमी नहीं है | यह ऐसे माफिया हैं, जो कि आज के नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण से भी पहले के कामकाजी दिलेर माफिया है | उत्तराखंड राज्य की विधानसभा में भी इन्हीं खनन माफिया के खिलाफ आवाज गूंजती रहती है |उत्तराखंड राज्य की भिन्न-भिन्न नदियों से होने वाले रेत बजरी इत्यादि की सामग्री के खनन को लेकर वैध और अवैध खनन के मामले सामने आते रहते हैं | सदन से लेकर सड़क तक माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही का बिगुल भी बड़े-बड़े राजनीतिक लीडर और जनप्रतिनिधि फूंकते हुए कम नजर नहीं आते हैं I इतनी आवाजें खनन माफियाओं के खिलाफ बुलंद होने के बावजूद आखिर नदियों से होने वाले अवैध खनन पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है ? और विभागीय अधिकारी खनन माफियाओं के सामने बौने क्यों बने हुए दिखाई देते हैं? यह एक बहुत ही बड़ी चिंता और हैरानी का विषय है|
उत्तराखंड राज्य में खनन माफियाओं की हैसियत एक तरह से बाहुबलियों से कम नहीं आंकी आती जाती है| शायद यही कारण है कि नदियों से अवैध खनन का कार्य रुकता ही नहीं है और माफिया दिन और रात के अंधेरे में कभी भी खनन करने से पीछे नहीं रहते | ऐसे में क्या यह कहा जाएगा कि इन खनन माफियाओं को कहीं न कहीं सरकार और संबंधित विभाग का संरक्षण तो नहीं है ! जिन खनन माफियाओं के खिलाफ सदन से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद होती है, उनके विरुद्ध जल्दी से कोई एक्शन नहीं हो पाता है |यह एक शायद कड़वा सच ही कहा जा सकता है? एसआईटी अक्सर इस दिशा में थोड़ा बहुत एक्शन-रिएक्शन दिखाती भी है, परंतु जिस प्रकार से अवैध खनन को लेकर खनन माफियाओं पर रहमों-करम का साया बना हुआ दिखाई देता है वह स्वयं में एक बहुत बड़ी हैरानी की बात है | मुख्य बात यह है कि जिस प्रकार से राज्य की विभिन्न नदियों से रेत-बजरी इत्यादि सामग्री का खनन अवैध रूप से होता चला आ रहा है, उससे सरकार को ही भारी राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है | बड़ा और अहम सवाल यह है कि आखिर क्या राज्य सरकार इसी तरह से नुकसान उठाती रहेगी? और यह खनन माफिया सरकार और संबंधित विभाग को इसी तरह से चूना लगाते हुए अपने काम धंधे को जारी रखेंगे?

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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