
Ucc लागू होने के बाद यह होंगी विवाह की रस्मे (Ceremonies for Marriage)
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 के तहत, विवाह समारोह उसी परंपरागत तरीके से संपन्न किए जा सकेंगे जैसे अब तक होते आए हैं। चाहे वह “सप्तपदी”, “निकाह”, “आशीर्वाद”, “होली यूनियन” या आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के तहत “आनंद कारज” हो, या फिर विशेष विवाह अधिनियम, 1954 अथवा आर्य विवाह मान्यकरण अधिनियम, 1937 के अनुसार विवाह किया जा रहा हो—अधिनियम सभी धार्मिक व प्रथागत रीति-रिवाज़ों का सम्मान करता है। हालाँकि, यह ज़रूरी है कि विवाह के लिए अधिनियम में उल्लिखित बुनियादी शर्तें (उम्र, मानसिक क्षमता और जीवित जीवनसाथी का न होना आदि) पूरी की जाएँ। इससे राज्य के लोगों की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आज़ादी सुरक्षित रहती है, जबकि विवाह के मूलभूत कानूनी मानकों का भी पालन सुनिश्चित होता है।
*भाग 2: अमान्य (Void) एवं रद्द करने योग्य (Voidable) विवाह*
यद्यपि अधिनियम पारंपरिक विवाह समारोहों को यथाव...