अंतिम यात्रा पर प्रकाश सिंह बादल: तिरंगे में लपेटा गया पार्थिव शरीर, फूट-फूटकर रोया परिवार !
पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात आठ बजे 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। कुछ ही देर में पैतृक गांव बादल में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके आखिरी दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है।
अंतिम यात्रा शुरू
प्रकाश सिंह बादल की शव यात्रा उनके निवास से शुरू हो गई है।
अश्वनी शर्मा और दुष्यंत चौटाला ने किया नमन
भाजपा पंजाब प्रधान अश्वनी शर्मा और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी पूर्व सीएम को श्रद्धांजलि दी। वहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी बादल को नमन करने पहुंचे।
जेपी नड्डा पहुंचे गांव
प्रकाश सिंह बादल की पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटा गया है। भाजपा प्रधान जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने गांव पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
शरद पवार ने दी श्रद्धांजलि
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि दी।
आजादी के साल राजनीति में रखा था कदम
प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में पदार्पण किया था। 1957 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1969 में प्रकाश सिंह बादल दोबारा विधायक बने थे। वहीं प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वहीं 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष भी रहे थे। प्रकाश सिंह बादल सांसद और केंद्र में मंत्री भी रह चुके थे। एक मार्च 2007 से 2017 तक उन्होंने दो बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला।
दर्शन करने आए लोग बोले-बादल साहब जैसा कोई नहीं
अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे बुजुर्ग वरियाम सिंह, उजागर सिंह, जगरूप सिंह ने बताया कि पूर्व सीएम का अपने पैतृक गांव बादल से बेहद लगाव था। वे हर किसी के सुख-दुःख में शरीक होते थे। अनेकों बार तो वे पैदल ही गांव में टहलते-टहलते लोगों के बीच पहुंच जाया करते थे। कितनी सादगी थी उनमें इस बात का पता इससे लगाया जा सकता है। उनका ज्यादातर समय अपने हलके के लोगों के बीच ही बीता है। गांव के लोग तो उनकी सादगी व विनम्रता के कायल थे। लोगों की मुश्किलों का उनके द्वार पर हल करने के उद्देश्य से ही उन्होंने संगत दर्शन कार्यक्रम शुरू किया था, जो सिर्फ उनके कार्यकाल में ही हुआ है। अन्य किसी सरकार को ऐसा कार्यक्रम करने का ख्याल तक नहीं आया। सिर्फ बादल ही थे जो संगत दर्शन के जरिए प्रदेश की संगतों के बीच जाकर उनकी मुश्किलें सुनने व हल करवाने का यत्न करते रहे।
सुख में चाहे न जाएं, दुख में जरूर शरीक होते थे बादल
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के सलाहकार हरचरन सिंह बैंस भी भावुक दिखे। बैंस ने कहा कि बादल हमेशा अपने पारिवारिक सदस्य की तरह उन्हें प्यार व सम्मान देते थे। यहां तक कि अनेकों बार तो उनके साथ ही खाना खाते थे। बादल की एक खासियत थी कि वो हर किसी के सुख-दुःख में शरीक होते थे। अगर किसी कारणवश किसी के सुख में वे शरीक न भी हो पाएं, मगर उनकी ये कोशिश रहती थी कि हर किसी के दुःख में जरूर शरीक हों। इस मामले में वे अपने कट्टर प्रतिद्वंदी कह लो या विपक्षी नेता भी हो तो उसके दुःख में शरीक होने जरूर जाते थे। उनका मानना था कि राजनीति में उनकी विचारों की लड़ाई हो सकता है। इसे निजी लड़ाई नहीं मानना चाहिए। वे हमेशा पंजाब के हितों के बारे में सोचते रहते थे।
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भी पहुंचे
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह भी गांव बादल पहुंचे हैं।
जेपी नड्डा देंगे श्रद्धांजलि
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दोपहर करीब 12 बजे प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने लंबी पहुंचेंगे।
गांव में प्रवेश से लेकर बादल निवास तक भारी सुरक्षा प्रबंध
गांव बादल में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की पुलिस प्रशासन द्वारा सख्ती से जांच की जा रही है। बादल निवास से 100 मीटर पहले ही हर आने-जाने वाले व्यक्तियों की तलाशी ली जा रही है। वहीं बादल निवास के आगे भी डिटेक्टिव मशीन से स्कैन कर हर किसी अंदर भेजा जा रहा है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो सके। बादल निवास के अंदर भी भारी फोर्स तैनात है।
बाग में बनेगी यादगार
बादल गांव में किन्नू के बाग में जगह समतल करके करीब 50 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा एक चबूतरा तैयार किया गया है जहां प्रकाश सिंह बादल का अंतिम संस्कार होगा। बाद में इसी चबूतरे को स्मारक में बदल दिया जाएगा और यहां बादल की यादगार बनेगी।
नहीं रुक रहे सुखबीर के आंसू
सुखबीर बादल अपने पिता की पार्थिव देह से सटकर खड़े हैं। उनकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे हैं। प्रकाश सिंह बादल की पोती भी फूटफूटकर रोई।
फूलों से सजे ट्रैक्टर में निकलेगी अंतिम यात्रा
दस बजे से अंतिम संस्कार को पहुंचने लगे लोग
सुबह दस से बादल के पैतृक निवास में लोग पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने पहुंच रहे हैं।
दस बजे से अंतिम संस्कार को पहुंचने लगे लोग
सुबह दस से बादल के पैतृक निवास में लोग पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने पहुंच रहे हैं।