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उत्तराखंड : पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर बना सकेंगे ईको रिजॉर्ट, पर्यटन की नई संभावनाएं की जाएंगी विकसित

उत्तराखंड : पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर बना सकेंगे ईको रिजॉर्ट, पर्यटन की नई संभावनाएं की जाएंगी विकसित

उत्तराखंड : पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर बना सकेंगे ईको रिजॉर्ट, पर्यटन की नई संभावनाएं की जाएंगी विकसित

उत्तराखंड : पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर बना सकेंगे ईको रिजॉर्ट, पर्यटन की नई संभावनाएं की जाएंगी विकसित

ईको रिजॉर्ट पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद खास होंगे। इसमें 75 फीसदी ग्रीन एरिया होगा,जबकि कंक्रीट का मामूली प्रयोग होगा। ऊर्जा की जरूरत पूरी तरह सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेगी। इसके लिए रिजॉर्ट के चारों ओर सोलर पावर फेंसिंग लगेंगी।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की बोर्ड बैठक में दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में कृषि भूमि पर ईको रिजॉर्ट के निर्माण को तय शर्तों के साथ मंजूरी देने का निर्णय लिया गया। प्राधिकरण के इस फैसले से पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन की नई संभावनाओं को विकसित किया जा सकेगा।
ग्रीन बिल्डिंग, सामुदायिक केंद्र, योगा सेंटर व प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र ईको रिजॉर्ट की खासियत होंगे। यह रिजॉर्ट योगा, पंचकर्म, आयुर्वेद के जरिए उपचार की सुविधा उपलब्ध कराएंगे, वहीं इससे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के दरवाजे भी खुलेंगे। ईको रिजॉर्ट के जरिये स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।
बोर्ड बैठक में बताया गया कि ईको रिजॉर्ट पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहद खास होंगे। इसमें 75 फीसदी ग्रीन एरिया होगा,जबकि कंक्रीट का मामूली प्रयोग होगा। ऊर्जा की जरूरत पूरी तरह सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेगी। इसके लिए रिजॉर्ट के चारों ओर सोलर पावर फेंसिंग लगेंगी। स्थानीय कलाकारों के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए उन्हें मंच प्रदान किया जाएगा। रिजॉर्ट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर खास फोकस करेंगे।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि बोर्ड बैठक में फसाड नीति को भी कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है। इसके तहत शहर में मुख्य मार्गों पर फसाड का कार्य किया जाएगा। प्राधिकरण ने इसके लिए वास्तुकला, कलाकृति एवं शिल्प के समावेश से खास डिजाइन भी तैयार किए हैं। यह ऐसे पहाड़ी डिजाइन हैं, जिनका प्रयोग भवन स्वामी कर सकेंगेे।
इन डिजाइनों का प्रयोग कर शहर में बनने वाले नए मकानों को पूरी तरह से पहाड़ी कल्चर में रंगा जाएगा। मार्गों पर बने भवनों में भूतल से लेकर ऊपरी तलों तक फसाड के तहत कार्य होगा। ढालू छतों से लेकर खिड़की, दरवाजे, रोशनदान आदि पहाड़ी कल्चर में बना सकेंगे। पहाड़ी डिजाइन में मकान बनाने वालों को एमडीडीए की ओर से एक अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति दी जाएगी।
छतों पर मोबाइल टॉवर लगाने को लेकर आने वाली समस्याओं और विरोध को देखते हुए अब सिंगल विंडो सिस्टम को मंजूरी दी गई है। मोबाइल टॉवर से संबंधित मानचित्र को पास कराने के लिए आईटीडीए में आवेदन करना होगा। आईटीडीए के माध्यम से एमडीडीए को आवेदन नक्शे सहित प्राप्त होंगे। सात दिन में प्राधिकरण अपनी रिपोर्ट देगा। सात दिन में रिपोर्ट नहीं देने की स्थिति में मानचित्र को खुद ही पास मान लिया जाएगा।
बोर्ड बैठक में मानचित्रों में सड़क की चौड़ाई के मानकों को लेकर भी शिथिलता दी गई। इसमें 25 प्रतिशत तक की छूट को प्राधिकरण ने मंजूरी दी। प्लाट एरिया, सड़क की चौड़ाई और एफएआर में 25 प्रतिशत तक की छूट के साथ नक्शों को पास कराया जा सकेगा। बैठक में 50 से अधिक मानचित्र भी स्वीकृत किए गए।
आईएसबीटी के संचालन और रखरखाव को लेकर बोर्ड बैठक में मंजूरी दी गई। अब तक रेमकी कंपनी आईएसबीटी का संचालन करती थी, लेकिन एमडीडीए का कंपनी से करार खत्म हो चुका है। बोर्ड बैठक में इसके संचालन के लिए एमडीडीए को अनुमति मिल गई है।

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |

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