आज छठवीं बार बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचेंगे पीएम मोदी, इस बार भी ये इच्छा नहीं कर सकेंगे पूरी |
बाबा केदार के भक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी छठवीं बार केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन कर पूजा-अर्चना करेंगे। लेकिन पीएम मोदी इस बार भी अपनी गरुड़ चट्टी जाने की इच्छा पूरा नहीं कर सकेंगे।
आज शुक्रवार को पीएम मोदी 7 बजकर 55 मिनट पर केदारनाथ पहुंचेंगे। जहां पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य आला नेता व प्रशासनिक अधिकारी उनकी अगवानी करेंगे। प्रधानमंत्री, केदारनाथ में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 किमी लंबे
सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास भी करेंगे। साथ ही पुनर्निर्माण के तहत हो रहे कार्यों का जायजा लेंगे।
शुक्रवार को केदारनाथ में लगभग अपने ढाई घंटे के कार्यक्रम के तहत पीएम मोदी आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन भी करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री एटीवी (ऑल टेरिल व्हीकल) से पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेंगे।
साथ ही उत्तराखंड शासन व रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन से बातचीत करेंगे। लगभग 946 करोड़ की लागत से बनने वाले सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का वह शिलान्यास भी करेंगे। परियोजना से जुड़े नेशनल हाईवे लॉजिस्टक मैनेजमेंट लिमिटेड के अभियंता ने बताया कि प्रधानमंत्री को वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी के माध्यम से परियोजना के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इधर, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ आगमन को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर दी गई हैं। मोदी केदारनाथ में लगभग ढाई घंटे रहेंगे और सुबह साढ़े दस बजे श्रीबदरीनाथ धाम के लिए रवाना होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी केदारनाथ पहुंचकर अपनी साधनास्थली गरुड़चट्टी का भ्रमण नहीं कर पाएंगे। अस्सी के दशक में मोदी ने यहां डेढ़ माह तक साधना की थी और तब वह प्रतिदिन केदारनाथ मंदिर के दर्शनों के लिए पहुंचते थे लेकिन जून 2013 की आपदा के बाद से गरुड़चट्टी की वीरानी नहीं टूट पाई है, जिस कारण यह क्षेत्र अलग-थलग पड़ा है।
20 अक्तूबर 2017 को पीएम मोदी ने गरुड़चट्टी क्षेत्र को विकसित करने की बात कही थी। तब उत्तराखंड शासन ने केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक तीन किमी नया पैदल मार्ग बनाते हुए उसे केदारनाथ मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल का निर्माण भी किया। 7 नवंबर 2018 को केदारनाथ भ्रमण के दौरान पीएम मोदी ने गरूड़चट्टी जाने की इच्छा जताई थी लेकिन तब रास्ता पूरा नहीं बन पाया था।
अब पुराने पैदल रास्ते को पुनर्जीवित करने का मामला केंद्र सरकार में अटका है। केदारनाथ के वयोवृद्ध तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, उमेश पोस्ती, लक्ष्मीनारायण जुगराण आदि का कहना है कि गरुड़चट्टी केदारनाथ यात्रा की पहचान रहा है। इस क्षेत्र को पूर्व की तरह संरक्षित किया जाना चाहिए।
उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |