चलो चले गांव की ओर…. दसवीं (समापन) किश्त… बोडी पर देवता अवतरित हो गया, उन्ने जोर से किलक्कताल मारी… आदेश…!
नीरज नैथानी
रुड़की, उत्तराखंड
चलो चले गांव की ओर...गतांक से आगे.. दसवीं (समापन) किश्त
आज कथा का समापन दिवस है। मंदिर परिसर में सुबह से ही हलचल हो रही है। पाठार्थी उच्च स्वर में जप कर रहे हैं। व्यास जी गद्दी पर बैठे मौन वाचन करते हुए पुस्तक के पृष्ठ पलटते जा रहे हैं। आस-पास के गावों से श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा आ रहा है। पाण्डाल भक्तों से खचाखच भर चुका है। अंतत: जैसे ही व्यास जी ने पारायण की घोषणा करते हुए उद्घोष किया बोलिए आज के आनंद की... सामूहिक स्वर वातावरण में गूंज उठे.. जय। एक पाठार्थी ने माइक अपने सामने खिसकाते हुए उच्चारित किया.. धर्म की.. सभी एक साथ बोल उठे ... जय हो..., अधर्म का.. नाश हो.., प्राणियों में.. सद्भावना हो। हर-हर महादेव... हर-हर महादेव...
फिर व्यास जी के द्वारा आरती करने का संकेत करते ही आरती प्रारम्भ हो गयी। प्रांगण में बैठे समस्त लोग अपने स्थान ...