बृजपाल रावत… काया का कल्प हो जाना, लड़कियाँ तुम महान हो…
बृजपाल रावत
देहरादून, उत्तराखंड
--------------------------------------
मुझे लगता है अब सोच बदलनी चाहिये, हर एक समाज की, हर एक तबके की, हर एक देश की और तो और हर एक गाँव-मोहल्ले की भी। मुल्क में आज भी स्त्री को बस स्त्री समझा जाता है इसके इतर कुछ भी नहीं। कई मर्तबा ये कुंठित सोच से पनपे लोग कहते हैं अरे.. लड़की है उसे बाहर नहीं घूमना चाहिये, उसे ऐसा पहनना चाहिए उसे वैसा रहना चाहिए ये, वो हलाना.. फलाना.. ढिमकाना आदि-आदि। इस सोच से ग्रसित 95 प्रतिशत लोग आज मौन हैं। वे मौन इसलिए नहीं कि, वे कुछ अच्छा कह नहीं सकते अपितु इसलिये मौन हैं कि उनके मन को रास नहीं आया। आएगा भी कैसे? दिमाग को ऐसे अव्यवस्थित किया हुआ है मानो स्त्री का रोल दुनिया में नगण्य हो। और इस कुंठित सोच से कोई भी तबका अछूता नहीं है चाहे वो वेल सोसाइटीज में पले-बढ़े हो या लोअर मिडिल या फिर स्लम एरियाज।
इसी इतिहास को अगर पु...