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मनरेगा राशि की हेराफेरी का मामला, चार पंचायत अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

मनरेगा राशि की हेराफेरी का मामला, चार पंचायत अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज |

चारों आरोपियों ने कथित तौर पर 3.30 करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए अमरेली जिला ग्रामीण विकास एजेंसी की आईडी व पासवर्ड का दुरुपयोग किया था। इसका खुलासा कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ।

गुजरात के अमरेली में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) राशि में हेराफेरी के मामले में चार पंचायत अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। बुधवार को पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, जाफराबाद तालुका पंचायत कार्यालय के एक अधिकारी की शिकायत के बाद इस मामले में कार्रवाई की गई है। शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने वित्तीय वर्ष 2015 और 2019 के बीच लाभार्थियों के लिए आवंटित 3.30 करोड़ रुपये की राशि की हेराफेरी की साजिश रची।

सभी आरोपी, जाफराबाद तालुका पंचायत कार्यालय के लिए सहायक कार्यक्रम अधिकारी, लेखा सहायक, प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) समन्वयक और तकनीकी सहायक जैसे पदों पर कार्यरत हैं, जिनकी पहचान शक्तिसिंह जडेजा, विमल बसन, जिग्नेश वाडिया और अश्विन शियाल के तौर पर हुई है। उन्होंने कथित तौर पर तालुका के विभिन्न गांवों में लाभार्थियों के नाम से नकली ‘जॉब कार्ड’ बनाए और इन ‘जॉब कार्ड’ धारकों के अलावा अन्य लोगों के नाम पर बैंक खाते खोले।

एजेंसी की आईडी-पासवर्ड का किया दुरुपयोग
प्राथमिकी के अनुसार, चारों आरोपियों ने कथित तौर पर 3.30 करोड़ रुपये की हेराफेरी के लिए अमरेली जिला ग्रामीण विकास एजेंसी की आईडी व पासवर्ड का दुरुपयोग किया था। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा सात दिसंबर 2021 को किए गए एक आंतरिक ऑडिट में योजना के तहत चार करोड़ रुपये से अधिक की राशि तीसरे पक्ष को दिए जाने की बात सामने आई थी।

जांच समिति ने सौपी रिपोर्ट
इस मामले में तालुका विकास अधिकारी ने 22 सितंबर 2022 को एक जांच समिति का गठन किया था, जिसने एक दिसंबर को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 3,30,26,548 रुपये का भुगतान तीसरे पक्ष को किया गया। आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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