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भ्रामक विज्ञापन मामले पर बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी, कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, एक्शन के लिए रहो तैयार

पंतजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि वो पंतजलि के जवाब से संतुष्ट नहीं है। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव पेश हुए। इसके अलावा पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी देश की शीर्ष अदालत में हाजिर हुए। और कोर्ट ने दोनों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट को गंभीरता से लें। कानून की महिमा सबसे ऊपर है और आपने सारी सीमाएं लांघ दीं। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दोनों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कोर्ट में पेश होने को कहा था।

बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में दायर याचिका पर नवंबर 2023 से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने की। भ्रामक विज्ञापनों पर अपने निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए कोर्ट ने बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान योग गुरु बाबा रामदेव ने अदालत में बिना शर्त माफी मांगी। लेकिन कोर्ट ने पतंजलि की तरफ से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पतंजलि के साथ साथ आचार्य बालकृष्ण औऱ बाबा रामदेव को भी हलफनामा दाखिल करना होगा।

बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगना चाहते थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हलफनामा पहले आना चाहिए था। क्या कोर्ट से पूछकर हलफनामा लिखेंगे। कोर्ट ने कहा कि ये रवैया अस्वीकार्य है। कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि 21 नवंबर को कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन दिया।

कोर्ट ने कहा कि हर दवा पद्धति की आलोचना हो सकती है। बाबा रामदेव ने योग के लिए अच्छा काम किया है लेकिन कानून के खिलाफ इस तरह के विज्ञापन नहीं दिए जा सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि 30 नवंबर को दाखिल हलफनामे में भी पतंजलि ने कोर्ट में गलत दावा किया कि वह पिछले हलफनामे (भ्रामक विज्ञापन न देने) का पालन कर रहा है। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से भी पूछा कि केंद्र की सलाह के बाद उसने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

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