हरिद्वार का वह घाट जहां भगवान राम ने किया था अपने पिता का पिंडदान, यहां तर्पण से पितरों को मिलता है मोक्ष!
हरिद्वार का वह घाट जहां भगवान राम ने किया था अपने पिता का पिंडदान, यहां तर्पण से पितरों को मिलता है मोक्ष!
हरिद्वार के प्राचीन गंगा घाटों में कुशावर्त घाट का विशेष महत्व बताया गया है, जहां पर पिंडदान, तर्पण और पित्रों के निमित आदि कार्य करने का विशेष महत्व है.इस स्थान का वर्णन विष्णु पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण के केदारखंड में किया गया है.भगवान राम ने अपने पिता और समस्त पूर्वजों के उद्धार हेतु यहां पर पिंडदान और तर्पण आदि किया था.
हरिद्वार.उत्तराखंड की धर्म नगरी हरिद्वार विश्व में एक तीर्थ स्थल के नाम से विख्यात है. हरिद्वार को कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के मध्य हुए समुद्र मंथन के बाद अमृत कलश निकला था, जिसके बाद अमृत के लिए असुरों और देवताओं में युद्ध हुआ था. इस दौरान अमृत कलश को लेकर जाते वक्त अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार जगह हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक और उज्जैन में छलक कर गिरी थी. हरिद्वार में हर की पौड़ी पर अमृत की बूंदें गिराने के कारण यहां हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता है. महाकुंभ में लाखों साधु-संत और देश-विदेश से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते है. वहीं हरिद्वार के प्राचीन गंगा घाटों में से कुशावर्त घाट है, जहां पर पिंड दान करने, दसवां क्रिया करने की धार्मिक मान्यता बताई गई है.
हरिद्वार के प्राचीन गंगा घाटों में कुशावर्त घाट का विशेष महत्व बताया गया है, जहां पर गंगा स्नान करने और अपने प्रियजनों, पित्रों के निमित कार्य करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिलने की धार्मिक मान्यता बताई गई है. कुशावर्त घाट पर मुख्य रूप से रोजाना देश के अलग-अलग प्रांतों से लोग यहां पिंड दान, तर्पण और अस्थियां प्रवाहित करने आते है.
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में है उल्लेख
कुशावर्त घाट की अपनी ही प्राचीन मान्यता है. इस घाट पर श्राद्ध तर्पण और कर्मकांड करने का विशेष महत्व बताया जाता है. इस घाट का वर्णन भी धार्मिक ग्रंथों में किया गया है. कहा जाता है कि यहां भगवान दत्तात्रेय की तपोस्थली है. यहां भगवान दत्तात्रेय का मंदिर भी बना हुआ है. कुशावर्त घाट पर पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए कर्मकांड किए जाते हैं. यहां अस्थि विसर्जन या पिंड दान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
भगवान राम ने किया था कुशावर्त घाट पर पिंडदान
पुरोहित कन्हैया शर्मा बताते हैं कि कुशावर्त घाट देवों और पितरों को प्रसन्न करने का एक स्थान है. इस स्थान का वर्णन विष्णु पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण के केदारखंड में किया गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल में कुशा के बहुत से वृक्ष हुआ करते थे. त्रेता युग में भगवान राम ने अपने पिता और समस्त पूर्वजों के उद्धार हेतु यहां पर पिंडदान और तर्पण आदि किया था. द्वापर युग में पांडवों ने इसी स्थान पर पिंड दान आदि किए थे.
उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए हरिद्वार से ब्यूरो रिपोर्ट.